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Urban Cooperative Banks Fraud: शहरी सहकारी बैंकों 220 करोड़ रुपये की धोखाधाड़ी, 5 साल में 1,000 मामले: RBI

हाईलाइट
- पांच वित्त वर्ष में धोखाधड़ी से 220 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान
- इस दौरान, बैंकों में धोखाधड़ी के करीब 1,000 मामले हुए
- RTI लगाने पर मिली जानकारी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। Urban cooperative banks (UCB) को पिछले पांच वित्त वर्ष में धोखाधड़ी से 220 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ है। इस दौरान, बैंकों में धोखाधड़ी के करीब 1,000 मामले हुए। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने यह जानकारी दी है। सूचना के अधिकार (RTI) का जवाब देते हुए RBI ने कहा कि 2018-19 के दौरान 127.7 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के कुल 181 मामले सामने आए। बैंकों में 2017-18 में धोखाधाड़ी के 99 मामले (46.9 करोड़ रुपये) और 2016-17 में 27 मामलों (9.3 करोड़ रुपये) का पता चला। केन्द्रीय बैंक ने बताया कि 2015-16 में 17.3 करोड़ रुपये के धोखाधड़ी के 187 मामले बैंक को पता चले, जबकि 2014-15 के दौरान 19.8 करोड़ रुपये के इस तरह के 478 मामलों की जानकारी हुई।
RTI के जवाब में कहा गया है कि 2014-15 और 2018-19 के दौरान शहरी सहकारी बैंकों में 221 करोड़ रुपये के कुल 972 धोखाधड़ी मामले दर्ज किए गए। रिजर्व बैंक के मुताबिक, बैंकों को आरबीआई को धोखाधड़ी के मामलों के बारे में जानकारी देना जरूरी होता है। बैंक के लिए यह जरूरी है कि वह कर्मचारियों की जवाबदेही से जुड़े पहलुओं पर गौर करे और आंतरिक प्रक्रिया के जरिये दोषी के खिलाफ कार्रवाई करे।
केन्द्रीय बैंक ने इन मामलों पर कार्रवाई की जानकारी देने से इनकार करते हुए कहा कि यह आंकड़े आसानी से उपलब्ध नहीं है। इसमें कहा गया है कि देशभर के कुल 1,544 शहरी सहकारी बैंकों में 31 मार्च 2019 तक कुल 4.84 लाख करोड़ रुपये जमा थे। इनमें सबसे ज्यादा तीन लाख करोड़ रुपये महाराष्ट्र के 496 बैंकों में जमा हैं। इसी तरह, गुजरात में 55,102 करोड़ रुपये 219 शहरी सहकारी बैंकों में और कर्नाटक में 263 सहकारी बैंकों में 41,096 करोड़ रुपये जमा हैं।
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Real Estate: खरीदना चाहते हैं अपने सपनों का घर तो रखे इन बातों का ध्यान, भास्कर प्रॉपर्टी करेगा मदद

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। किसी के लिए भी प्रॉपर्टी खरीदना जीवन के महत्वपूर्ण कामों में से एक होता है। आप सारी जमा पूंजी और कर्ज लेकर अपने सपनों के घर को खरीदते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि इसमें इतनी ही सावधानी बरती जाय जिससे कि आपकी मेहनत की कमाई को कोई चट ना कर सके। प्रॉपर्टी की कोई भी डील करने से पहले पूरा रिसर्च वर्क होना चाहिए। हर कागजात को सावधानी से चेक करने के बाद ही डील पर आगे बढ़ना चाहिए। हालांकि कई बार हमें मालूम नहीं होता कि सही और सटीक जानकारी कहा से मिलेगी। इसमें bhaskarproperty.com आपकी मदद कर सकता है।
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ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।