शिक्षा: कखग सीखने की उम्र में रिक्शा ढकेल रहे मासूम बच्चे, शिक्षा से है वंचित

कखग सीखने की उम्र में रिक्शा ढकेल रहे मासूम बच्चे, शिक्षा से है वंचित
  • आदिवासी और घुमंतू समाज बालक शिक्षा और सरकारी लाभ से वंचित
  • सरकारी कागजों पर मेलघाट में विकास की धारा बह रही
  • लोगों के पास राशन कार्ड और आधार कार्ड तक नहीं हैं

डिजिटल डेस्क, चिखलदरा(अमरावती)। राज्य के अतिदुर्गम आदिवासी बहुल क्षेत्र मेलघाट में आज भी सैकड़ों बालक शिक्षा और सरकारी लाभ जैसी सुविधाओँ से वंचित है। शासन-प्रशासन खुद ही अपनी पीठ थपथपाता नजर आ रहा है। यहां आधार कार्ड, राशन कार्ड या जन्म के दाखला ना होने के कारण मेलघाट के नाबालिग स्कूल जाने की बजाय रिक्शा धकेल रहे हैं। शिक्षा और जनजागृति के अभाव में आजादी के अमृत महोत्सव के बाद भी मेलघाट के कई बालक शिक्षा और आदिवासी परिवार मुफ़्त के राशन से भी वंचित है। जिन्होंने थक-हार कर अब सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाना भी छोड़ दिया है।

विदित हो कि चिखलदरा तहसील में कई वर्षो से आधार केंद्र नहीं है। जिस कारण दिहाड़ी मजदूरी करने वाले आदिवासी और स्थानीय लोग आधार कार्ड बनवाने के लिए यहां से बाहर नहीं जा सकते। जिस कारण यहां के 1 से 5 वर्ष आयु के सैकड़ों ंबालक आधार कार्ड से वंचित हैं। जिस कारण उन बालकों को आंगनवाड़ी या बालवाड़ी में दाखिला नहीं मिल रहा। ऐसे बालक पोषण आहार जैसे सरकारी लाभ से भी वंचित हैं। वैसे ही मेलघाट में कुछ परिवार ऐसे भी है। जिनके पास राशन कार्ड भी नहीं है। जिससे उनको लाभ नहीं मिलने से अन्न सुरक्षा नियम की भी धज्जियां उड़ रही है। ऐसे मामूली कारणों के चलते मेलघाट का भविष्य अंधेरे में नजर आ रहा है। जबकि सरकारी कागजों पर मेलघाट में विकास दौड़ रहा है।

राशन कार्ड के लिए शिविर लगाएं : जिले में सबसे बड़े क्षेत्रफल वाली चिखलदरा में एक भी आधार केंद्र शुरू नहीं है। साथ ही राशन कार्ड के लिए भी नागरिकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जिसे देखते हुए प्रशासन द्वारा तहसील में कम से कम चार आधार केंद्र शुरू करना चाहिए। साथ ही नए और पुराने राशन कार्ड के लिए गुट ग्राम पंचायतों में शिविर का आयोजन करना चाहिए । जिससे गरीब आदिवासियों को लाभ मिल सके। -मनोज शर्मा, सामाजिक कार्यकर्ता

Created On :   21 March 2024 9:50 AM GMT

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