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Bhandara News: अतिवृष्टि से फसलें बर्बाद, पंचनाम-मुआवजे की प्रक्रिया धीमी

Bhandara News खरीफ मौसम में किसानों द्वारा एक लाख 98 हजार 97 हेक्टेयर में फसलें लगाई गई थी। लेकिन जून व जुलाई के बाद सितंबर व अक्टूबर माह में हुई मूसलाधार बारिश और बाढ़ से फसलें मिट्टी में मिल गई। राजस्व व कृषि विभाग नुकसान का सर्वेक्षण कर रहा है। अब तक आठ हजार 283 किसानों की दो हजार 589.12 हेक्टेयर क्षेत्र की फसल का नुकसान हुआ है। लेकिन पंचनामे की प्रक्रिया पूर्ण होने पर यह आंकड़े बढ़ेंगे। दूसरी ओर शासन द्वारा घोषित सहायता को अपर्याप्त माना जा रहा है। किसान कर्जमाफी की मांग कर रहे हैं।
किसानों के अनुसार प्राकृतिक आपदा में नुकसान होने के महीनों बाद शासन द्वारा आधी अधूरी मदद की जाती है। इस बार जिले के धान, सोयाबीन तथा सब्जी उत्पादकों का भारी नुकसान हो चुका है। हजारों हेक्टेयर की फसलें नष्ट होने से किसानों के घर में अनाज नहीं पहुंचेगा।
बैंक से लिया हुआ कर्ज देने, उधार, साहूकारों से लिया हुआ कर्ज लौटाने की चिंता किसानों को सता रही है। इस बीच प्रशासकीय प्रणाली द्वारा पंचनामे किए जा रहे हैं। यह प्रक्रिया कब पूर्ण होगी और घोषित पैकेज का लाभ कब मिलेगा यह सवाल किसानों को सता रह है। किसानों ने परिपूर्ण कर्ज माफ करने और सातबारा कोरा करने की मांग की है।
दिवाली के पहले मुआवजा मिलने की संभावना कम : जुलाई माह में लगभग दो हजार 589.12 हेक्टेयर जमीन पर लगी फसलों का नुकसान हुआ। इसके लिए कृषि विभाग ने पंचनामे पूर्ण कर राजस्व विभाग के माध्यम से शासन से चार करोड़ 33 लाख 25 हजार 450 रुपए की मांग की। सितंबर अंत व अक्टूबर माह में हुई अतिवृष्टि के पंचनामे की प्रक्रिया अभी चल रही है। यह प्रक्रिया पूर्ण होते ही दिवाली के पहले सहायता मिलने की संभावना नहीं है।
धान उत्पादक किसानों के लिए कुछ भी नहीं : राज्य के किसानों की स्थिति चिंताजनक है। घोषित पैकेज में छह हजार 175 रुपए ही किसानों को मिलेंगे। यह राशि बेहद कम है। पूर्व विदर्भ के किसान धान की फसल लेते हैं। सरकार ने इन किसानों को सहायता देनी चाहिए किंतु सरकार ने धान उत्पादक किसानों को भगवान भरोसे छोड़ा है। रबी फसलों के लिए हेक्टेयर के पीछे दस हजार की सहायता बेहद कम है। कर्जमाफी ही एकमात्र विकल्प है। -चंद्रशेखर टेंभुर्णे, पूर्व सभापति, जि. प. भंडारा
पीड़ित किसानों के लिए शीघ्र सहायता का कोई प्रावधान नहीं : किसानों पर इस बार प्रकृति का कहर बरपा है। इसके तुलना में राज्य सरकार की सहायता बेहद कम है। प्रति हेक्टेयर तत्काल रूप से किसानों को 50 हजार रुपए देने चाहिए। अन्यथा किसान नुकसान से उभर नहीं पाएंगे। जिनकी खेती बह गई, मकान और तबेले ढहे, पशुओं की मृत्यु हुई ऐसे पीड़ितों को शीघ्र सहायता का प्रावधान नहीं किया गया। -मोहन पंचभाई, जिलाध्यक्ष, कांग्रेस
Created On :   9 Oct 2025 3:27 PM IST