भोपाल: इतिहास को सहेजने रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय में स्थापित हुई विरासत समिति

इतिहास को सहेजने रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय में स्थापित हुई विरासत समिति
  • रायसेन की विरासत को संभालेगी विरासत समिति श्री नारायण व्यास पुरातत्वविद
  • रायसेन के ऐतिहासिक स्थलों के हैरिटेज वॉक से शुरू हुई विरासत समिति

डिजिटल डेस्क, भोपाल। रवींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा गठित ‘विरासत समिति’ ने 20 जनवरी, 2024 को अपने पहले कार्यक्रम की शुरुआत की। यह एक पदयात्रा थी, जो रायसेन के प्रसिद्ध भीमबेटका शैल आश्रय और आशापुरी मंदिर समूह से होकर गुजरी। इस पहल ने क्षेत्र की समृद्ध ऐतिहासिक विरासत के संरक्षण, अन्वेषण और सराहना के प्रति समिति की प्रतिबद्धता को दर्शाया।

यात्रा का मार्गदर्शन भोपाल के जाने-माने वरिष्ठ पुरातत्वविद डॉ नारायण व्यास, भारतीय ज्ञान परंपरा केंद्र की समन्वयक डॉ. सावित्री सिंह परिहार और इतिहास के सहायक प्राध्यापक व कार्यक्रम अधिकारी श्री गब्बर सिंह ने किया। पदयात्रा का नेतृत्व छात्र समन्वयक पुष्पेंद्र बंसल और अवनि रघुवंशी ने किया। वॉक में एनएसएस के स्वयंसेवकों सहित लगभग 60 युवाओं ने सहभागिता की। युवाओं ने भीमबेटका के शैलाश्रयों में बने शैल चित्रों के बारे में नारायण व्यास जी से विस्तृत जानकारी प्राप्त की। इस अवसर पर श्री व्यास ने कहा कि रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय द्वारा विरासत समिति की स्थापना इतिहास के संरक्षण में सहायक सिद्ध होगी ऐसी आशा है। की ओर प्रस्थान किया, जो कि यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है और प्राचीन शैल चित्रों के लिए प्रसिद्ध है। ये चित्र पृथ्वी पर ज्ञात कलाकृतियों में सबसे प्राचीन हैं।

भीमबेटका में हमें सम्मानित पुरातत्वविद् प्रोफेसर नारायण व्यास के साथ चलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। उनके प्रवचनों ने शैल आश्रयों को जीवंत कर दिया, जिसमें ज्ञान, अनुभव और इन आश्रयों से जुड़े आकर्षक कहानियों और मिथकों का समावेश था। उनकी अंतर्दृष्टि ने उन आदिम मानवों के जीवन को उजागर किया, जो कभी इन गुफाओं में निवास करते थे और चट्टानों की दीवारों पर अपनी कलात्मक अभिव्यक्तियों को छोड़ गए थे।

इसके बाद हम आशापुरी मंदिर समूह की ओर बढे , जो सर्वेक्षण और पुनर्निर्माण के दौर से गुजर रहा था। यह स्थल, जो एतिहासिक रहस्य में डूबा हुआ है, क्षेत्र के गौरवशाली अतीत की एक झलक प्रस्तुत करता है।

‘विरासत समिति’ की यह पदयात्रा एक प्रशंसनीय पहल है जो न केवल क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के बारे में जागरूकता बढ़ाती है बल्कि युवाओं को इसके संरक्षण में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए भी प्रेरित करती है।

Created On :   10 Feb 2024 1:30 PM GMT

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