Jabalpur News: कुदरत की खूबसूरती के बीच अवसरों का समंदर बस जरूरत है पानी में चलने के तरीके बदलने की

कुदरत की खूबसूरती के बीच अवसरों का समंदर बस जरूरत है पानी में चलने के तरीके बदलने की

Jabalpur News: हमारा बरगी बांध भोपाल के हनुमंतिया से कहीं कम नहीं, बल्कि यहां कुदरत की खूबसूरती का समंदर है। दूसरी तरफ भेड़ाघाट का वॉटर फॉल दुनियां को लुभाता है। इसके बावजूद जबलपुर की वॉटर बाडीज को असल पहचान और मुकाम हासिल नहीं हो सका। थोडा सा सर्पोट मिल जाए तो दोनों जगह वॉटर स्पोर्ट्स के बड़े सेंटर नजर आ सकते है।

देश और विदेश से आने वाले पर्यटकों की यहां कमी नहीं है। 1 अक्टूबर से 30 जून तक पर्यटक काफी तादाद में यहां पहुंचते हैं। नौकाविहार से लेकर क्रूज की सैर करते लोग वॉटर एक्टिविटी का लुत्फ उठा रहे हैं, लेकिन जब बात विकास की आती है तो ये स्पॉट्स पीछे रह जाते हैं। एक्सपर्ट्स की मानें तो जिस तेजी से खंडवा के हनुमंतिया का विकास हुआ है, उसी तेजी से अगर बरगी में डेवलपमेंट किया जाए तो हनुमंतिया जैसा सुंदर इसको भी बनाया जा सकता है। बस एक पहल की जरूरत है

बरगी टू पायली की सैर

एक नया प्रयास जो पर्यटकों को पसंद आ रहा। विंटर वेकेशन में बरगी से पायली के लिए क्रूज चलाया जा रहा है। लगभग ढाई से 3 घंटे की अवधि में क्रूज से सैर हो जाती है। नर्मदा नदी के आसपास का हरा-भरा सौंदर्य पर्यटकों को काफी आकर्षित करता है।

भेड़ाघाट में वॉटर रॉफ्टिंग

भेड़ाघाट में वॉटर राॅफ्टिंग कराई जाती है। संगमरमरी चट्टानों के बीच से शांत माहौल में बोट में बैठकर यहां पर्यटक धुआंधार देख सकते हैं। इसी के साथ नौकाविहार के दौरान बंदर-कूदनी स्पॉट भी देख सकते हैं। कुछ सालों पहले मून बोटराइड शुरू की गई थी, लेकिन सुरक्षा की दृष्टि को देखते हुए बंद हो गई।

1 अक्टूबर से 30 जून तक

प्रदेश के नेशनल पार्क खुलते ही बरगी में पर्यटकों की भीड़ बढ़ जाती है। इसमें विदेशी पर्यटक ज्यादा होते हैं। 1 अक्टूबर से 30 जून तक कान्हा, बांधवगढ़ और पेंच पार्क घूमने वाले पर्यटक बरगी जरूर घूमने जाते हैं। वहीं दिसंबर और जनवरी में शहर और आसपास के लोग बरगी की सैर करते हैं।

52 ताल-तलैया में कुछ ही बचे

हमारे शहर को 52 ताल-तलैयों का शहर कहा जाता था। इस शहर की पहचान और विरासत इन्हीं तालाबों से थी, लेकिन अब ये तालाब अवैध कब्जों और अतिक्रमणों के कारण सिमटकर रह गए हैं। कुछ तालाबों में काम हुआ, लेकिन कुछ फिर से जस के तस हो गए।

Created On :   27 Sept 2025 5:21 PM IST

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