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वर्ल्ड हार्ट-डे आज: सांस लेने में हल्की तकलीफ पर अलर्ट रहें, सीने में दर्द को न करें अनदेखा

Jabalpur News: जब भी हार्ट डिजीज की बात होती है, तो मन में हमेशा 50 या 60 की उम्र के मरीजों की तस्वीर सामने आती है। हालांकि, अब इस बीमारी का ट्रेंड बदलने लगा है। दरअसल, पिछले कुछ समय से 40 साल से कम उम्र के लोगों में हार्ट डिजीज या हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं। ऐसे में इससे बचाव के लिए न सिर्फ समय पर इसकी पहचान जरूरी है, बल्कि इसकी वजह जानना भी जरूरी है।हर साल दिल से जुड़ीं बीमारियों के बारे में, लोगों को जागरूक करने के मकसद से हर साल 29 सितंबर को वर्ल्ड हार्ट-डे मनाया जाता है। इस बार की थीम "डोन्ट मिस ए बीट' है।
विशेषज्ञों के अनुसार युवा अक्सर छोटे लक्षणों जैसे थकान, सांस लेने में हल्की तकलीफ या सीने में तकलीफ को अनदेखा कर देते हैं और उन्हें तनाव या थकावट का कारण बताते हैं। हालांकि, जब तक उनकी हालत गंभीर न हो जाए, तब तक वह इस ओर ध्यान नहीं देते, जिससे कई बार बात हाथ से निकल जाती है।
हृदय से जुड़ीं 4 प्रमुख समस्याएं
हार्ट अटैक
हार्ट अटैक की समस्या छाती में दर्द या एंजाइना के साथ सामने आती है। हार्ट ब्लॉकेज के कारण ठीक से पंप नहीं करता है। यह आमतौर पर तब होता है जब रक्त का थक्का हृदय में रक्त के प्रवाह को अवरुद्ध कर देता है। तंबाकू-शराब और खराब लाइफ स्टाइल इसका प्रमुख कारण है।
क्यूटी सिंड्रोम
दिल की धड़कन असमान्य होने की एक समस्या, जिसमें दिल की धड़कन तेज और अनियमित हो सकती है। लंबे समय तक मरीज में कोई लक्षण नहीं दिखता है। इनमें अचानक बेहोश होना या दौरे पड़ना शामिल है। अचानक मौत भी हो सकती है। यह जेनेटिक है।
खराब इलेक्ट्रिकल सिस्टम
हृदय के कंडक्शन सिस्टम में खराबी के कारण निचले चेंबर में हार्ट रेट अचानक बढ़कर 200 से 300 प्रति मिनट पहुंच जाता है। इसे वेंट्रीक्यूलर टेकीकार्डिया या वेंट्रीक्यूलर फिब्रीलेशन कहते हैं। इलेक्ट्रिकल सिस्टम खराब होने से सोते वक्त सांसें थम जाती हैं।
स्ट्रक्चरल प्रॉब्लम
हार्ट की बनावट में गड़बड़ी हाइपर ट्रैफिक कार्डियोमायोपैथी से जुड़ी स्थिति है। हार्ट की मांसपेशियां मोटी होने के कारण वॉल्व से ब्लड आउटपुट कम हो जाता है। मेहनत का कार्य करते हुए डेथ हो जाने की यह सबसे बड़ी वजह है, जिससे एथलीट्स और जिम जाने वाले लोग प्रभावित होते हैं।
इलेक्ट्रिक शॉक से बचाई जा सकती है जान
सुपरस्पेशलिटी अस्पताल में कार्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. सोहेल सिद्दीकी के अनुसार हृदय की धड़कन अचानक बढ़ने पर इलेक्ट्रिक शॉक (डीसी कार्डियोवर्शन ) देकर हार्ट की गति को 300 से 70-80 प्रति मिनट तक लाया जा सकता है। इसलिए मरीज को फौरन अस्पताल ले जाना चाहिए। विदेशों में पब्लिक प्लेसेस, एयरपोर्ट, जिम आदि में पोर्टेबल कार्डियोवर्शन डिफेबलेटर मशीनें लगी होती हैं। भारत में भी ऐसा होना चाहिए। यह सडन डेथ को रोकने का गेम चेंजर तरीका है।
इन लक्षणाें पर ध्यान दें युवा
{ सीने में दर्द और बेचैनी।
{सांस फूलना।
{ तेजी से पसीना आना।
{ धड़कन का कम या ज्यादा होना।
{अकारण चक्कर या बेहोशी।
{ परिवार में कार्डियक डेथ हिस्ट्री।
कराएं ये जांचें
{ईसीजी
{टूडी ईकोकार्डियोग्राफी
{ टीएमटी
{होल्टर मॉनिटरिंग {शुगर {बीपी
पोस्ट-काेविड इसलिए बढ़े हार्ट अटैक
हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. पुष्पराज पटेल ने बताया कि युवाओं में पोस्ट-कोविड हार्ट अटैक के बढ़ते मामलों का मुख्य कारण कोविड संक्रमण का सीधा प्रभाव हो सकता है, जिसकी वजह से हृदय और रक्त वाहिकाओं में लंबे समय तक सूजन और क्षति हो सकती है। सूजन धमनियों में प्लाक के टूटने और खून के थक्का बनने के खतरे को बढ़ाती है, जिससे हार्ट अटैक हो सकता है।
Created On :   29 Sept 2025 4:27 PM IST