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Jabalpur News: अफसरों की लापरवाही, 14 साल बाद भी कागजों से बाहर नहीं आ पाया क्रोकोडाइल सेंचुरी का प्लान

Jabalpur News: जिले को कुदरत ने मगरमच्छों के रूप में अनोखी सौगात दी है, परियट नदी और उससे लगे जलाशयों में मगरमच्छों का बड़ी संख्या में बसेरा है। करीब 14 साल पहले इस प्राकृतिक सौगात से पर्यटकों काे दीदार कराने की योजना भी बनी लेकिन नतीजा सिफर है। वन विभाग के कुछ अधिकारियों के गैरजिम्मेदाराना रवैये के कारण क्रोकोडाइल सेंचुरी का प्लान साकार नहीं हो पाया।
परिणाम यह हुआ कि जो मगरमच्छ आकर्षण का केंद्र बनकर रोजगार के अवसर पैदा करते और वरदान साबित होते वे मुसीबत एवं दहशत का पर्याय बन कर रह गए हैं। आबादी वाले क्षेत्रों में मगरमच्छों के मूवमेंट से लोगों की परेशानियां बढ़ रही हैं, वहीं हर साल सैकड़ों मगरमच्छों की जान भी जा रही है।
बढ़ते रोजगार के अवसर, स्वच्छ होतीं नदियां
क्रोकोडाइल सेंचुरी बनने से शहर में नेशनल पार्क की तर्ज पर न सिर्फ पर्यटन हब तैयार होता, बल्कि परियट नदी से लगे खमरिया, उमरिया, सोनपुर, रिठौरी, घाना, डुमना और खंदारी जलाशय के बीच कई गांव के लोगों को नए रोजगार मिलता। वैज्ञानिकों का कहना है कि जिन नदियों एवं जलाशयों में मगरमच्छ बसते हैं, वहां का पानी बैक्टीरिया फ्री हो जाता है। क्योंकि बड़े मगर जहरीली मछलियों के साथ अन्य तरह के जहरीले जन्तुओं का भक्षण करते हैं और इनके बच्चे छोटे जहरीले जलीय जन्तुओं का, इसलिए मगरमच्छों को सफाई व नर्मदा नदी के वाहन के प्रतीक के रूप में भी धार्मिक मान्यता प्राप्त है।
कोर्ट के निर्देश पर बननी थी क्रोकोडाइल सेंचुरी
परियट नदी में वर्तमान में छोटे बड़े मिलाकर करीब एक हजार से ज्यादा मगरमच्छ मौजूद हैं। वन्य प्राणी विशेषज्ञ शंकरेन्द्रुनाथ ने वर्ष 2005 में मप्र हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी कि मगरों के पालन-पोषण को लेकर क्रोकोडाइल सेंचुरी बनाई जाए या फिर इनक्यूबेशन सेंटर बने। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद हाईकोर्ट ने 2009 में वन विभाग और शासन को क्रोकोडाइल सेंचुरी बनाने के निर्देश दिए थे। प्रोजेक्ट को लेकर वर्ष 2011-12 में शासन ने परियट नदी से लगे 10 किलोमीटर के एरिया में क्रोकोडाइल सेंचुरी बनाने की रूपरेखा तैयार की थी। यूएनडीपी (यूनाइटेड नेशन डेवलपमेंट प्रोजेक्ट) के तहत 2 करोड़ का फंड भी स्वीकृत हुआ था। 65 लाख रुपए भी वन विभाग को मिले थे लेकिन कुछ ही महीने बाद यूएनडीपी ने वन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करते हुए अपना फंड रोक दिया था, जिसके बाद यह सपना अधूरा रह गया।
हाईकोर्ट के निर्देश पर क्रोकोडाइल सेंचुरी बनाने का जो प्रोजेक्ट शुरू हुआ था वह अब तक अधूरा है, लिहाजा उसे पूरा किया जाए। इससे मगरमच्छों का संरक्षण तो होगा ही पर्यटन और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे एवं परियट के आसपास रहने वालों को भी राहत मिलेगी। सरकार चाहे तो इस दिशा में पहल हो सकती है।
शंकरेन्द्रुनाथ, वन्य प्राणी विशेषज्ञ
Created On :   10 Nov 2025 7:24 PM IST












