Jabalpur News: 98 अवैध कॉलोनियों की रजिस्ट्री पर रोक, जांच के बाद दर्ज होगी एफआईआर

98 अवैध कॉलोनियों की रजिस्ट्री पर रोक, जांच के बाद दर्ज होगी एफआईआर
जिला प्रशासन की इस कार्रवाई के पीछे उन पीड़ितों की शिकायतें बताई जा रही हैं

Jabalpur News: अवैध काॅलोनियों को लेकर लगातार मिलने वाली शिकायतों पर जिला प्रशासन की काॅलोनी सेल ने बड़ा कदम उठाया है। जिले में 98 अवैध कॉलोनियां चिन्हित की हैं। काॅलोनी सेल प्रभारी ने जिला पंजीयक कार्यालय को एक पत्र के साथ चिन्हित भूखंडों की सूची भी भेजी है। पत्र में आदेश जारी किया गया है कि सभी भूखंडों के अंतरण शून्य प्रावधानित कर दिए गए हैं, इसलिए इनमें से किसी की रजिस्ट्री नहीं की जाए। सूत्रों के अनुसार कलेक्टर राघवेन्द्र सिंह ने सभी एसडीएम व तहसीलदारोंं को चिन्हित भूखंडों की जांच करने के लिए निर्देशित किया है, जिसके बाद गड़बड़ी करने वालों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई जाएगी।

प्रभारी अधिकारी कॉलोनी सेल, आरएस मरावी ने जानकारी दी कि जिला जबलपुर अंतर्गत न्यायालयीन कार्यवाही में गतिशील 98 अवैध कॉलोनियों की सूची प्राप्त हुई है। मप्र नगर पालिका अधिनियम 1961 की धारा 339 ड-2 तथा मप्र पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 61 च 2 के अंतर्गत अनधिकृत रूप से कॉलोनी निर्माण करने वाले किसी व्यक्त्ति द्वारा अवैध कॉलोनी निर्माण के किसी क्षेत्र में किए गए भू-खण्ड के अंतरण को शून्य प्रावधानित कर दिया गया है।

सबसे ज्यादा मामले पनागर में

अधिकारी के अनुसार काॅलोनी सेल ने जिन 98 अवैध काॅलोनियों को चिन्हित किया है, उसमें सबसे ज्यादा मामले पनागर व पाटन रोड के हैं। इसके बाद सिहोरा, कुंडम, बरेला, चरगवां, जबलपुर तहसीली क्षेत्र में हैं।

रजिस्ट्री के बाद भटकते रहे लाेग

जिला प्रशासन की इस कार्रवाई के पीछे उन पीड़ितों की शिकायतें बताई जा रही हैं, जिन्हें काॅलोनी बनाने वालों ने फर्जी दस्तावेज दिखाकर बेचा था लेकिन जब रजिस्ट्री हो जाती थी, तब क्रय करने वाले सीमांकन, नामांकन समेत अन्य जरूरी दस्तावेज व कार्रवाइयोंं के लिए लगातार भटकते थे। शहरी क्षेत्र में तो कई ऐसी काॅलोनियां भी हैं, जिनके पास टीएनसीपी से किसी भी तरह की अनुमति नहीं है।

इसके अलावा ग्राम पंचायतों में जिन भूखंडों को रहवासी एरिया बताकर बेचा गया, वो सरकारी दस्तावेजों में आज भी खेतीहर भूमि में शामिल हैं। जानकारों का कहना है कि शिकायतें तो लगातार होती रहीं हैं, लेकिन कार्रवाइयां सिर्फ चुनिंदा मामलों में हुईं। अभी भी सैकड़ों पीड़ित कार्रवाई के लिए भटक रहे हैं।

Created On :   26 Nov 2025 6:57 PM IST

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