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New Delhi News: चंद्रपुर में बकरी पालन के लिए 5 परियोजनाएं अनुमोदित, जैन पांडुलिपियों के लिए स्थापित होंगी अत्याधुनिक सुविधाएं

- परियोजनाओं की कुल लागत 3.08 करोड़ रुपए, जिसमें 1.39 करोड़ रुपए की सब्सिडी शामिल
- मुंबई विश्वविद्यालय के सहयोग से भाषाओं और परंपराओं के संरक्षण हेतु परियोजना
New Delhi News. महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में बकरी पालन के लिए पांच परियोजनाओं को अनुमोदित किया गया है। इन परियोजनाओं की कुल लागत 3.08 करोड़ रुपए है, जिसमें 1.39 करोड़ रुपए की संस्वीकृत सब्सिडी शामिल है। केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल ने मंगलवार को लोकसभा में यह जानकारी दी। कांग्रेस सांसद प्रतिभा धानोरकर के पूछे गए सवाल के लिखित जवाब में केंद्रीय मंत्री ने बताया कि वर्तमान में चंद्रपुर जिले के दो लाभार्थियों को कुल 0.30 करोड़ रुपए की सब्सिडी वितरित की जा चुकी है। शेष तीन परियोजनाएं राज्य कार्यान्वयन एजेंसी, बैंक और भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक जैसे विभिन्न स्तरों पर लंबित है। केंद्रीय मंत्री बघेल ने कहा कि वर्तमान में लाभार्थियों को अनुदान के वितरण में देरी को दूर करने के लिए राज्य सरकार को कोई विशेष सहायता देने का प्रावधान नहीं है। हालांकि, प्रक्रियाओं में तेजी लाने के लिए उद्यमिता विकास सुविधा हेल्प डेस्क की स्थापना के साथ-साथ कार्यशालाओं और कौशल-आधारित प्रशिक्षण के आयोजन हेतु प्रशासनिक लागत के रूप में राज्य सरकारों को 1.05 करोड़ रुपए देने का प्रावधान है।
मुंबई विश्वविद्यालय के सहयोग से भाषाओं और परंपराओं के संरक्षण हेतु परियोजना
उधर प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम के अंतर्गत केंद्र सरकार ने गुजरात विश्वविद्यालय में जैन पांडुलिपि विज्ञान केंद्र स्थापित करने की परियोजना को मंजूरी दे दी है। इस केंद्र में जैन पांडुलिपियों के डिजिटलीकरण और संरक्षण हेतु अत्याधुनिक सुविधाएं स्थापित की जाएंगी। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने मंगलवार को यह जानकारी दी। राज्यसभा में भाजपा सांसद अशोक चव्हाण के पूछे गए सवाल के लिखित जवाब में रिजिजू ने बताया कि अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने कुछ विश्वविद्यालयों के सहयोग से अल्पसंख्यक साहित्यिक विरासत के संरक्षण हेतु 5 परियोजनाओं को मंजूरी दी है। इनमें पारसी और बौद्ध धर्म से संबंधित अवेस्ता, पहलवी, पाली और प्राकृत भाषाओं पर शोध को बढ़ावा देने के साथ-साथ मुंबई विश्वविद्यालय के सहयोग से विरासत भाषाओं और परंपराओं के संरक्षण हेतु परियोजना शामिल हैं। इसके तहत बौद्ध धर्म से संबंधित भारत-केंद्रित दृष्टिकोण विकसित करके सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करना, दिल्ली विश्वविद्यालय के सहयोग से उन्नत शैक्षणिक अनुसंधान को बढ़ावा देना और अंतःविषयक और संस्थागत सहयोग को बढ़ावा देने के साथ ही खालसा कॉलेज, दिल्ली के सहयोग से सिख धर्म से संबंधित गुरुमुखी लिपि को संरक्षित करना और पढाना तथा जैन धर्म से संबंधित पांडुलिपियों को डिजिटल बनाना और जाएगा संरक्षित करना शामिल है। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि गुजरात विश्वविद्यालय के सहयोग से पांडुलिपि अध्ययन में एक प्रशिक्षण और अनुसंधान केंद्र स्थापित करना और देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर के सहयोग से शैक्षिक कार्यक्रमों, अनुसंधान और वैश्विक सहयोग के माध्यम से जैन विरासत और संस्कृति को बढ़ावा दिया जाएगा।
Created On :   12 Aug 2025 9:34 PM IST