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Mumbai News: अब वेतन देरी होने पर जिम्मेदार होंगे आहरण व संवितरण अधिकारी, अदालतों की नई इमारत बनाने योजना लागू

- वेतन देरी होने पर जिम्मेदार होंगे आहरण व संवितरण अधिकारी
- संबंधित आहरण व संवितरण अधिकारी व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार होंगे
Mumbai News. प्रदेश के सभी सरकारी कार्यालयों के अधिकारियों और कर्मचारियों का व्यक्तिगत डेटा मासिक वेतन के लिए सेवार्थ प्रणाली में अद्यतन किया जाएगा। सरकारी कर्मियों के डेटा अद्यतन करने में चूक होने के कारण अप्रैल और मई का वेतन देने में देरी हुई तो इसके लिए संबंधित आहरण व संवितरण अधिकारी व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार होंगे। राज्य के वित्त विभाग ने इस संबंध में परिपत्र जारी किया है। राज्य के सभी आहरण व संवितरण अधिकारी, जिलों के जिला कोषागार अधिकारी और उप कोषागार अधिकारी को डेटा अद्यतन की जिम्मेदारी दी गई है। सरकारी कर्मियों को मोबाइल नंबर, वैवाहिक स्थिति, माता का नाम, पिता का नाम, जीवनसाथी का नाम, पता, पिन कोड संबंधी जानकारी देनी होगी। सरकारी कर्मियों का यह डेटा लेकर सभी आहरण व संवितरण अधिकारियों को अप्रैल महीने के वेतन अदायगी से पहले सेवार्थ प्रणाली में अपलोड करना अनिवार्य होगा। सेवार्थ प्रणाली पर पंजीयन नहीं करने वाले आहरण व संवितरण अधिकारियों को उनके कार्यालय के कर्मियों का अप्रैल और मई महीने का वेतन अदा नहीं किया जाएगा। यदि डेटा अद्यतन करने में चूक होने के कारण सरकारी कर्मियों को अप्रैल और मई का वेतन समय पर नहीं मिला तो इसके लिए संबंधित आहरण व संवितरण अधिकारी व्यक्तिगत जिम्मेदार ठहराए जाएंगे।
राज्य में अदालतों की नई इमारत बनाने योजना लागू
राज्य सरकार ने विधि व न्याय विभाग के तहत कार्यालयीन इमारतों का निर्माण करने और अदालतों को आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए संशोधित योजना को लागू करने का फैसला लिया है। राज्य के विधि व न्याय विभाग ने इस बारे में शासनादेश जारी किया है। इस योजना के तहत राज्य में अब हाईकोर्ट व खंडपीठ, जिला व तहसील अदालतों की नई इमारतों का निर्माण हो सकेगा। हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति, जिला व तहसील न्यायालय के न्यायाधीश और कर्मचारियों के निवास के लिए नई इमारतें बनाई जा सकेंगी। विधि व न्याय विभाग के अंतर्गत नए कार्यालयों की इमारतों का निर्माण हो सकेगा। प्रत्येक वित्तीय वर्ष में इस योजना के लिए प्राप्त होने वाली निधि और योजना विभाग से मिलने वाले निधि से इमारतों का निर्माण किया जाएगा। न्यायालयीन इमारतों और न्यायाधीशों के आवास बनाने के लिए आवश्यक जमीन सरकार से मांगी जाएगी। इन इमारतों का निर्माण, देखभाल और मरम्मत कार्य सार्वजनिक निर्माण कार्य विभाग के माध्यम से किया जाएगा। सरकार का कहना है कि राज्य में न्यायालयों को आधारभूत सुविधा उपलब्ध कराने के लिए केंद्र सरकार की योजना थी। जिसके तहत केंद्र सरकार न्यायालयीन इमारतों और न्यायाधीशों के आवास बनाने के लिए 60 प्रतिशत निधि उपलब्ध करानी थी। जबकि राज्य को 40 प्रतिशत राशि खर्च करनी पड़ती थी। केंद्र की योजना में निधि को लेकर संतुलन नहीं बन पा रहा था। साथ ही राज्य में हाईकोर्ट की इमारतों और हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति के लिए अलग से कोई योजना नहीं है। इसके मद्देनजर सरकार ने न्यायालयीन इमारतों और न्यायाधीश के आवास के लिए अलग से योजना लागू किया है।
Created On :   10 April 2025 8:59 PM IST