बॉम्बे हाई कोर्ट: व्यक्तियों पर केवल छापेमारी के समय बार और रेस्तरां में मौजूद होने के लिए मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है

व्यक्तियों पर केवल छापेमारी के समय बार और रेस्तरां में मौजूद होने के लिए मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है
  • अदालत ने बार और रेस्तरां में पकड़े गए व्यक्ति के खिलाफ दर्ज एफआईआर को किया रद्द
  • अंधेरी पुलिस ने बार और रेस्तरां में कथित महिलाओं के अश्लील डांस के दौरान की थी छापेमारी

Mumbai News. बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि व्यक्तियों पर केवल छापेमारी के समय बार और रेस्तरां में मौजूद होने के लिए मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है। अदालत ने एक व्यक्ति के खिलाफ अंधेरी के न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष लंबित मामले को रद्द कर दिया। पुलिस ने एक बार और रेस्तरां में कथित महिलाओं के अश्लील डांस के दौरान छापेमारी में व्यक्ति को गिरफ्तार किया था।

न्यायमूर्ति ए.एस. गडकरी और न्यायमूर्ति राजेश पाटील की पीठ के समक्ष तेजस हरेश हकानी की ओर से वकील आशीष दुबे और वकील राहुल त्रिपाठी की दायर याचिका पर पीठ ने कहा कि व्यक्तियों पर केवल छापेमारी के समय पर बार और रेस्तरां में मौजूद होने के लिए मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है, जब उन्हें कोई प्रत्यक्ष कार्य के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जाता है। पीठ ने रुषभ मिनिष कुमार मेहता और अन्य बनाम महाराष्ट्र राज्य के मामले में दायर आपराधिक याचिका का हवाला दिया, जिसमें 14 जनवरी 2021 को यह माना गया कि केवल एक स्थिति में मौजूद होना, जहां किसी अन्य व्यक्ति द्वारा अश्लील कृत्य किया जाता है, जहां वह केवल एक दर्शक है, तो आईपीसी की धारा 294 और 114 के तहत कार्रवाई नहीं होते हैं। पीठ ने याचिकाकर्ता के न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष लंबित मामले को रद्द कर दिया।

पुलिस ने 22 अप्रैल 2022 को रात 10 बजे के बाद अंधेरी (पूर्व) के कोलडोंगरी में पंजाब रेस्टोरेंट एंड बार (समीत पैलेस) पर छापा मारा। वहां पर कुछ महिलाए अश्लील नृत्य कर रही थी और वहां मौजूद लोग उन पर पैसे उड़ा रहे थे। पुलिस ने इस कार्रवाई में लोगों को पकड़ा और उनके खिलाफ एफआईआफ दर्ज की। उसमें याचिकाकर्ता भी शामिल था। उनके खिलाफ अंधेरी पुलिस स्टेशन 23 अप्रैल 2022 को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 308, 294, 114 सहित 34 और महाराष्ट्र होटल, रेस्तरां और बार रूम में अश्लील नृत्य का निषेध और महिलाओं की गरिमा की सुरक्षा अधिनियम 2016 की धारा 3, 8 (1) (2) (4) के तहत मामला दर्ज किया गया था।याचिकाकर्ता ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 482 के तहत अंधेरी स्थित न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी के समक्ष लंबित मामले को रद्द करने का अनुरोध किया था।

Created On :   26 Jun 2025 8:43 PM IST

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