विधानसभा: विदर्भ वैधानिक मंडल के गठन के प्रस्ताव पर सरकार फॉलोअप ही नहीं कर रही है, मुनगंटीवार ने की त्वरित प्रस्ताव तैयार करने की मांग की

विदर्भ वैधानिक मंडल के गठन के प्रस्ताव पर सरकार फॉलोअप ही नहीं कर रही है, मुनगंटीवार ने की त्वरित प्रस्ताव तैयार करने की मांग की
  • धर्मदाय संस्था में नियुक्ति प्रक्रिया में संशोधन संबंधी विधेयक मंजूर
  • विदर्भ वैधानिक मंडल के गठन के प्रस्ताव पर सरकार फालोअप ही नहीं कर रही है

Nagpur News. विदर्भ विकास के मामले में राज्य सरकार पर आंकड़ों का खेल खेलने का आरोप लगाते हुए भाजपा विधायक सुधीर मुनगंटीवार ने कहा है कि विदर्भ वैधानिक मंडल के गठन के प्रस्ताव पर सरकार फॉलोअप नहीं कर रही है। उन्होंने इस मामले को लेकर नया प्रस्ताव त्वरित तैयार करने की मांग की। बुधवार को विधानसभा में पूरक मांग पर चर्चा के आरंभ में मुनगंटीवार ने वैधानिक मंडल का मामला उठाया। उन्होंने कहा- वैधानिक मंडल विदर्भ व मराठवाडा का अधिकार है। लेकिन 5 वर्ष से मंडल नहीं है। वैधानिक मंडल की सिफारिश पर बजट व पूरक मांग में निधि का प्रावधान होता रहा है। नौकरियों के लिए भी संरक्षण मिलता है। मंडल का नहीं होना विदर्भ व मराठावाडा पर अन्याय है। 26 जुलाई 1984 से 30 अप्रैल 2020 तक यह मंडल रहा। अवधि समाप्त होने के बाद पुनर्गठन नहीं हो पाया। विदर्भ वैधानिक मंडल के गठन के लिए 100 से अधिक पत्र लिखे जा चुके हैं। 41 विधायकों के हस्ताक्षर के साथ मैंने भी पत्र दिया। लेकिन निर्णय नहीं हो पाया है। बजट पेश करते समय कागजात में जो आंकड़ा दिया जाता है उसका प्रतिबिंब पूरक मांग में नहीं है। अधिकारी बताते हैं कि वैधानिक मंडल के गठन के संबंध में प्रस्ताव केंद्रीय गृहमंत्री के पास है। राज्य सरकार फालोअप नहीं कर रही है। कांग्रेस सदस्य नाना पटोले ने ओबीसी के संबंध में विशेष प्रस्ताव रखवाया था उसी के समान वैधानिक मंडल का प्रस्ताव त्वरित तैयार किया जाए। विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने कहा कि किसी भी प्रस्ताव के लिए कामकाज सलाहकार समिति की बैठक में चर्चा होती है। वैधानिक मंडल के संबंध में सरकार अपनी भूमिका रखेगी।

धर्मदाय संस्था में नियुक्ति प्रक्रिया में संशोधन संबंधी विधेयक मंजूर

धर्मदाय संस्थाओं के नियुक्ति प्रक्रिया में संशोधन संबंधी विधेयक विधानसभा में मंजूर किया गया। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार नियमों में बदलाव किया जाएगा। अभ्यार्थी के लिए 55 प्रतिशत अंक की अनिवार्यता नहीं रखने से नियुक्ति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। मंगलवार को वित्त राज्यमंत्री आशीष जैस्वाल ने सार्वजनिक व धर्मदाय संस्था में नियुक्ति संबंधी विधेयक क्रमांक 95 मंजूरी के लिए रखा। लेकिन सदन में सत्तापक्ष व विपक्ष के कुछ सदस्यों ने शैक्षणिक योग्यता संबंधी संशोधन पर सवाल उठाया था। भाजपा सदस्य सुधीर मुनगंटीवार, योगेश सागर व राकांपा एसपी के जयंत पाटील ने सवाल उठाए। लिहाजा विधेयक को मुख्यमंत्री के जवाब के लिए रोककर रख दिया गया। बुधवार को इस विधेयक को संयुक्त चयन समिति के पास भेजने का निवेदन किया गया। जवाब में मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि पहले 5 पद्धति से नियुक्तियां होती थी। चौथी पद्धति के संबंध में उच्चतम न्यायालय ने आदेश दिया है कि 55 प्रतिशत अंक की अनिवार्यता न रखें। इसके बजाय स्पर्धा परीक्षा ली जाए। अब इस नियुक्ति के लिए अंक की अनिवार्यता रखना न्यायालय की अवमानना होगी। मुख्यमंत्री की दखल के बाद विधेयक मंजूर कर लिया गया।

मुनगंटीवार ने कहा-मामला गंभीर है

सुधीर मुनगंटीवार ने कहा कि यह मामला गंभीर है। उनके अधिकारियों का शिष्टमंडल मिला। चैरिटी के अधीक्षक भी मिले। उनका कहना है कि कुछ लोग अपने परिवार के लोगों को ही नियुक्त कराने की तैयारी में है। आपको गुणवत्ता, गुणवान नहीं चाहिए क्या। शिष्टमंडल का यह भी आरोप है कि नियम में सुधार षड़यंत्र है। कोर्ट में काम करनेवाले कुछ लोगों को धर्मदाय संस्थाओं में लाने का प्रयास है।

Created On :   10 Dec 2025 8:58 PM IST

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