स्वयं खर्च से सरपंच ने बना दी डाकघर की इमारत

A sarpanch built the post office building at his own expense
स्वयं खर्च से सरपंच ने बना दी डाकघर की इमारत
गोंदिया स्वयं खर्च से सरपंच ने बना दी डाकघर की इमारत

डिजिटल डेस्क, गोंदिया। अक्सर यह सुना जाता है कि, सरपंच द्वारा भारी पैमाने पर विभिन्न योजनाओं की निधि में हेराफेरी कर भ्रष्टाचार किया गया है, लेकिन ऐसे भी कुछ सरपंच होते हैं जो अन्य सरपंचों के लिए मिसाल बन जाते हैं। अर्जुनी मोरगांव तहसील के कानोली ग्राम के सरपंच संजय खरवड़े ने स्वयं के खर्च से गांव में सरकारी डाकघर की इमारत बना दी है। जिसकी हर स्तर पर सराहना की जा रही है। इस संदर्भ में जानकारी दी गई कि, अतिसंवेदनशील नक्सल प्रभावित ग्राम से पहचाने जाने वाले कानोली ग्राम पंचायत के सरपंच संजय खरवड़े ने अपनी उच्च शिक्षा का परिचय देते हुए विकास कार्य करने का मन बना लिया है। संजय खरवड़े ने सिविल इंजीनियर की शिक्षा प्राप्त की है, लेकिन वे सरकारी सेवा में कार्यरत नहीं है। गांव का विकास करने के लिए उन्होंने सरपंच का चुनाव लड़ा। जिसमें उन्हें सफलता भी मिली। 

ग्राम में विगत 40 वर्षों से निजी मकान में डाकघर का कामकाज चलाया जा रहा था। शासन द्वारा इमारत तैयार नहीं की गई थी। जिसके घर मंे डाकघर का कामकाज चलाया जा रहा था, वे डाकघर में डाकपाल की पोस्ट पर कार्यरत थीं, लेकिन विगत कुछ माह पूर्व ही उनकी सेवा समाप्ति के बाद डाकघर का कामकाज चलाना मुश्किल हो रहा था। जिसे गंभीरता से लेते हुए अपनी उच्च शिक्षा का परिचय देकर संजय खरवड़े ने स्वयं के खर्च 3 लाख रुपए की लागत से डाकघर की इमारत का निर्माण किया। 

अब इस इमारत में सरकारी डाकघर का कामकाज 26 जनवरी से शुरू हो गया है। डाकघर के अंतर्गत क्षेत्र के 12 ग्राम आते हैं। जिसमें सुकन्या योजना, बैंक व्यवहार, पॉलिसी, बिजली बिल आदि का व्यवहार प्रतिदिन किया जा रहा है। जिस कारण क्षेत्रवासियों को बैंक तथा बिजली बिल भरने कार्यालय में नहीं जाना पड़ रहा है। सरपंच के इस कार्य की सराहना हर स्तर पर की जा रही है।

ठंड एवं बारिश में होती थी परेशानी 

संजय खरवड़े, सरपंच, कानोली, तहसील अर्जुनी मोरगांव के मुताबिक ग्राम पंचायत प्रशासन को डाक घर की इमारत तैयार करने के लिए निधि उपलब्ध करने का प्रावधान नहीं है। जिस कारण डाकघर का संचालन पिछले 40 वर्षों से निजी मकान में हो रहा था। इस दौरान संबंधित कर्मचारी तथा डाक विभाग से संबंधित व्यवहार करने वाले नागरिकों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। सबसे अधिक दिक्कत ठंड एवं बारिश में होती थी। इसे ध्यान में रखकर मैंने प्रण लिया था कि, एक न एक दिन मैं स्वयं के खर्च से डाकघर का निर्माण करूंगा। जिसे मैंने पूरा कर नागरिकों को सुविधा उपलब्ध कराने का प्रयास किया है। 

 

Created On :   30 Jan 2022 5:48 PM IST

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