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एक क्षयरोगी एक वर्ष में बनाता है 15 नए मरीज
डिजिटल डेस्क, गोंदिया. क्षयरोग ने सारी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है। अनेक प्रकार की बीमारियां ऐसी है जिनका समूल निर्मूलन हो चुका है, लेकिन क्षयरोग पर अभी भी पूरी तरह से नियंत्रण रखना संभव नहीं हुआ है। यह चिंता का विषय है। कोरोना महामारी के कारण क्षयरोग नियंत्रण कार्यक्रम पर विपरीत परिणाम पड़ रहा है। कोरोना के लक्षण एवं क्षयरोग के लक्षणों में काफी समानता होने से नागरिकों में लक्षण दिखाई देने के बावजूद क्षयरोग की जांच करने में घबराने लगे हैं। लेकिन ऐसा कर वह अपना एवं दूसरों का जीवन भी संकट में डाल रहे हंै। यदि एक टीबी का मरीज बिना उपचार के रह गया तो वह एक वर्ष में अपने जैसे 15 मरीज तैयार कर देता है। उक्ताशय के उद्गार 24 मार्च को विश्व क्षयरोग दिवस के उपलक्ष्य में जिला क्षयरोग केंद्र गोंदिया में आयोजित कार्यक्रम मंे जिला क्षयरोग अधिकारी डा. नितीन कापसे ने व्यक्त किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला शल्य चिकित्सक डा. अमरीश मोहबे ने की। अतिथि के रूप में जिला स्वास्थ्य अधिकारी डा. नितीन वानखेड़े, जिला मलेरिया नियंत्रण अधिकारी डा. वेदप्रकाश चौरागडे उपस्थित थे। डा. मोहबे ने अपने संबोधन में कहा कि क्षयरोग निर्मूलन कार्यक्रम का प्रभारी क्रियान्वयन कर हर क्षयरोगी को इस बीमारी से मुक्त किया जाना चाहिए।
इसके लिए संबंधित विभाग के सभी अधिकारी एवं स्वास्थ्य कर्मचारियों को कठोर परिश्रम करना चाहिए। डा. रॉबर्ट कॉक नामक वैज्ञानिक ने 24 मार्च 1882 को मायक्रो बैक्टेरियम ट्यूबर क्यूलोसिस नाम के जीवाणु की खोज की थी। इसीलिए 24 मार्च का दिन विश्व क्षयरोग दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत में राष्ट्रीय क्षयरोग नियंत्रण कार्यक्रम वर्ष 1962 में शुरू किया गया था। जो जिला क्षयरोग केंद्र प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र एवं ग्रामीण अस्पताल में चलाया जाता है। यह जानकारी भी वक्ताओं ने कार्यक्रम में अपने संबोधन में दी। कार्यक्रम के पश्चात केटीएस जिला अस्पताल से क्षयरोग जनजागृति रैली निकाली गई। जिसे अतिथियों ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। उसी प्रकार जिले में फ्लैक्स, डिस्प्ले एवं स्टीकर वितरण तथा पॉम्पलेट बांटकर जनजागरण किया गया।
Created On :   25 March 2022 7:37 PM IST