गलत सलाह देने पर मुवक्किल को बतौर हर्जाना एक हजार रुपए प्रदान करे वकील - हाईकोर्ट का फैसला

Advocate should provide one thousand rupees as compensation to the client for giving wrong advice -
गलत सलाह देने पर मुवक्किल को बतौर हर्जाना एक हजार रुपए प्रदान करे वकील - हाईकोर्ट का फैसला
गलत सलाह देने पर मुवक्किल को बतौर हर्जाना एक हजार रुपए प्रदान करे वकील - हाईकोर्ट का फैसला

डिजिटल डेस्क जबलपुर । पति-पत्नी के बीच विवाद का मामला फैमिली कोर्ट में दायर करने के बजाए हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के रूप में दायर करने को हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है। जस्टिस नंदिता दुबे की एकलपीठ ने पक्षकार के वकील पर एक हजार रुपए की कॉस्ट लगाते हुए कहा है गलत सलाह देने पर वो यह राशि अपने मुवक्किल को प्रदान करे। इस मत के साथ अदालत ने याचिकाकर्ता की याचिका खारिज कर दी।
पत्नी को मायके वाले जबरदस्ती बंधक बनाकर रखे हुए हैं
यह मामला सीधी जिले के चुरहट थानांतर्गत ग्राम चुल्ही निवासी अरविन्द कुमार विश्वकर्मा की ओर से दायर किया गया था। याचिका में आरोप था कि उसकी पत्नी को उसके मायके वाले जबरदस्ती बंधक बनाकर रखे हुए हैं और सास-ससुर याचिकाकर्ता को अपनी पत्नी से मिलने की भी इजाजत नहीं दे रहे हैं। हाईकोर्ट ने इस मामले  पर पूर्व में सीधी पुलिस को कहा था कि वो याचिकाकर्ता की पत्नी को कोर्ट में पेश करे। मामले पर आगे हुई सुनवाई के दौरान सीधी जिले की पुलिस ने याचिकाकर्ता की पत्नी को कोर्ट में पेश किया। सुनवाई के दौरान शासन की ओर से शासकीय अधिवक्ता पारितोष गुप्ता हाजिर हुए। अदालत के पूछने पर उसने बताया कि वह अपनी मर्जी से अपने माता-पिता के घर पर पिछले डेढ़ साल से रह रही है। उसके इस बयान पर अदालत ने कहा कि किसी गलतफहमी के चलते उसकी पत्नी अपने मायके में रह रही है। अदालत ने याचिकाकर्ता से पूछा कि विवाह संबंधों को पुनस्र्थापित करने उसे बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के बजाए फैमिली कोर्ट में मामला दायर करना था। इस पर याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि उसके अधिवक्ता रामनरेश विश्वकर्मा ने जैसी उसे सलाह दी, वैसा उसने प्रकरण दायर किया। याचिकाकर्ता के इस बयान को गंभीरता से लेते हुए अदालत ने याचिका खारिज करके याचिकाकर्ता के अधिवक्ता रामनरेश विश्वकर्मा पर एक हजार रुपए की कॉस्ट लगाई।
 

Created On :   31 Oct 2019 8:08 AM GMT

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