संक्रांति के बाद जगह-जगह गंदगी के ढेर से सराबोर दिखा ग्वारीघाट

After Sankranti, Gwarighat was drenched with piles of dirt everywhere
संक्रांति के बाद जगह-जगह गंदगी के ढेर से सराबोर दिखा ग्वारीघाट
संक्रांति के बाद जगह-जगह गंदगी के ढेर से सराबोर दिखा ग्वारीघाट

तटों पर ऊपर तक बिखरी थीं थर्माकोल की प्लेटें व प्लास्टिक की पन्नियाँ
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
एक दिन पहले संक्रांति पर ग्वारीघाट में जमकर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी थी। तकरीबन 1 लाख लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई व पूजन-अर्चन किया और गंदगी तटों पर यहाँ-वहाँ छोड़कर वे चले गए। आलम यह रहा कि तटों पर ऊपर तक प्रतिबंधित थर्माकोल की प्लेटें, प्लास्टिक की पन्नियाँ बिखरी नजर आईं। फूल-निर्माल्य तो न जाने कितने क्विटंल होगा। जो नर्मदा के किनारे व तटों पर बिखरा हुआ था। ग्वारीघाट में ऐसा नजारा लगभग हर  विशेष तिथियों के बाद होता है। उसके बाद भी जिम्मेदार इसे रोकने कोई पुख्ता प्लान तैयार नहीं करते। नियम तो यही है कि फूल निर्माल्य को नर्मदा में प्रभावित करने से रोकना है। यदि कोई फूल निर्माल्य नर्मदा में प्रवाहित कर भी देता है तो उसे रोकने वॉलिंटियर नियुक्त होने चाहिए, ताकि नर्मदा को प्रदूषित होने से बचाया जा सके।  नर्मदा दर्शन के लिए दूसरे दिन भी ग्वारीघाट में श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा। अच्छी खासी तदाद में लोग यहाँ पहुँचे। लेकिन तटों पर फैली गंदगी को देखकर वे दु:खी हो गए। नारियल के जटों के ढेर, अगरबत्तियाँ, दीप दान वाले दोने, चिप्स के पैकेट्स, मिठाइयों के खाली डिब्बे और न जाने क्या कुछ यहाँ नजर आ रहा था। 
आखिर तुरंत क्यों नहीं होती सफाई?
हर त्योहार पर ग्वारीघाट में गंदगी होती है। यह जिम्मेदारों को अच्छे से मालूम है लेकिन उसके बाद भी सफाई के पुख्ता इंतजाम नहीं होते। नगर निगम का अमला सोया रहता है। जबकि नियमानुसार तो ऐसे अवसरों पर हर घंटे सफाई होनी चाहिए, लेकिन उसके उलट गंदगी दूसरे दिन तक बदस्तूर पड़ी रहती है जानवर उसे बिखेरते रहते हैं। जिससे माँ नर्मदा का आँचल प्रदूषित होता है।  जिला प्रशासन को सख्ती के साथ इस ओर अपना ध्यान आकर्षित करना चाहिए। 

Created On :   16 Jan 2021 10:14 AM GMT

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