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खनन की अनुमति मिलते ही ठेका कंपनियों ने रेत निकालने नदियों में उतारींं मशीनें -नई पॉलिसी का दे रहे हवाला लेकिन लिखित अनुमति कोई नहीं दिखा रहा
![As soon as mining permission was granted, contract companies launched machines to extract sand As soon as mining permission was granted, contract companies launched machines to extract sand](https://d35y6w71vgvcg1.cloudfront.net/media/2020/06/as-soon-as-mining-permission-was-granted-contract-companies-launched-machines-to-extract-sand_730X365.jpeg)
डिजिटल डेस्क जबलपुर । पुरानी ईसी (एनवायरमेंट क्लियरेंस) पर रेत खदानें संचलित किये जाने की अनुमति मिलते ही जून के पहले सप्ताह से नदियों में मशीनें उतार दी गई हैं। कटनी जिले की महानदी हो या उमरिया जिले की सीमा पर बहने वाली उमरार (उमराड़), शहडोल की सोन व चुंदी, डिंडोरी की बुडऩेर व कनका या फिर सिवनी की हिर्री व धनाई नदी, हर जगह बेदर्दी से रेत निकाली जा रही है। जबलपुर में तो मोटर वोट के जरिए नर्मदा की बीच जल धार से रेत निकाले जाने का मामला भी सामने आ चुका है। नरसिंहपुर जिले के गोटेगांव स्थित बुधगांव में तो नर्मदा का सीना बहुत बेदर्दी से छलनी किया गया है। नजारा पिछले सालों से अधिक भयावह है, क्योंकि नई नीति के तहत इस बार जिले की सभी खदानों का ठेका एक ही कंपनी के पास है। चूंकि खुद सरताज और पीछे राजनैतिक संरक्षण तथा बाहुबल, लिहाजा रेत खनन से जुड़े नियम रौंदे जाने लगे हैं। नियम तो वहां भी ताक पर रखे गए जहां मई माह में सरकारी प्रोजेक्ट के लिए रेत खनन की अनुमति ठेका कंपनी को मिली। रेत के खनन में मशीनों के उपयोग, बेदर्दी से नदियों का सीना छलनी किये जाने तथा अवैध उत्खनन को लेकर कटनी जिले से शुरू हुआ शोर इससे लगे उमरिया व शहडोल सहित महाकोशल के सिवनी जिले में भी मचने लगा है। जबलपुर भी इससे अछूता नहीं है। यहां शोर मचा है जबलपुर की टीपी पर समीपी नरसिंहपुर जिले से बेधड़क रेत लाने को लेकर। नरसिंहपुर में 63 करोड़ रुपए की ऊंची बोली लगाने वाली धनलक्ष्मी मर्चेंडाइस के अभी तक सक्रिय न होने का फायदा गोटेगांव सहित नर्मदा की दूसरी पट्टी गाडरवारा में रेत माफिया बखूबी उठा रहे हैं। दुधी व नर्मदा के संगम स्थल पर तो नजारा गजब है। जबलपुर संभाग हो या शहडोल संभाग, लगभग हर जिले में मशीनों से रेत के खनन व अवैध उत्खनन को लेकर शोर मचा है। बेधड़क रेत निकाली जा रही है और खनिज महकमा खामोश बैठा है।
रेत के खनन में मशीनों के उपयोग के सवाल पर ठेका कंपनियों का प्रबंधन केवल इतना कहता है कि नई पॉलिसी में मशीनों के उपयोग की अनुमति है। कटनी जिले के कलेक्टर भी यही बात कहते हैं। लेकिन रेत के खनन में मशीनों के उपयोग की लिखित अनुमति वाला कागज कोई नहीं दिखाता। खनिज महकमा तो यह तक नहीं बताता कि ठेका कंपनियों को अभी किस-किस खदान में खनन की अनुमति मिली है और कहां नई ईसी पर और कहां पुरानी ईसी पर काम किया जा रहा है। इसका फायदा रेत खनन का ठेका लेने वाली कंपनियां उठा रही हैं, जिन्होंने उन खदानों में भी मशीनों से काम करना शुरू कर दिया है, जहां पुरानी ईसी में मशीनों से रेत के खनन की अनुमति नहीं थी। दायरा तोड़ कर खनन करने का सिलसिला भी यूं चल रहा है क्योंकि अधिकांश जगह अभी रेत खदानों का सीमांकन ही नहीं किया गया। और रेत खदानों का नये सिरे से सीमांकन न होना ठेका कंपनियों के लिए वरदान है।
शहडोल में आया मामला सामने
शहडोल की 50 रेत खदानों का ठेका वंशिका ग्रुप की वंशिका कंस्ट्रक्शन को 44 करोड़ 50 लाख रूपए की ऊंची बोली पर मिला है। राजनैतिक बरदहस्त में फले-फूले इस ग्रुप को फिलहाल पूर्व में पंचायतों के अधीन रहीं जिले की 4 खदानों भुरसी, बोड्डिहा, रसपुर और भटिगवां में काम करने की अनुमति मिली है। काम शुरू होने के पहले ही दिन खदान का संचालन करने वालों नेे चूंदी नदी स्थित भुरसी खदान में जेसीबी व पोकलेन मशीन उतार दी। ग्रामीणों ने विरोध जताया। हल्ला मचा और बात प्रशासन तक पहुंची। एक ही दिन में दो बार दो पोकलेन व एक जेसीबी मशीन जब्त की गई। रेत के खनन में मश्ीानों के उपयोग के सवाल को वंशिका ग्रुप का स्थानीय स्तर पर काम देख रहे गजेन्द्र सिंह टाल गए। जिला खनिज अधिकारी फरहत जहां के अनुसार चारों खदानें पांच हेक्टेयर की हैं और इनमें मशीन लगाने की अनुमति नहीं है। वंशिका ग्रुप के खिलाफ पर्यावरण उल्लंघन की कार्रवाई प्रस्तावित किया जाना भी उन्होंने बताया। यहां भी यह बात साफ नहीं की गई कि उक्त खदानों को पुरानी ईसी पर संचालन की अनुमति दी गई या फिर नई ईसी पर।
ये हैं प्रावधान
-रेत के खनन में मशीनों के उपयोग को लेकर मचे शोर के बीच जब पड़ताल की तो यह बात सामने आई कि नई रेत खनन नीति में भले ही नर्मदा नदी को छोड़ कर बाकी नदियों में मशीनों के उपयोग की अनुमति हो लेकिन पांच हेक्टेयर तक वाली खदानों में इसका उपयोग नहीं हो सकता।
- जिन खदानों के लिए नई ईसी जारी हुई है उनमें नए प्रावधानों व शर्तों के तहत खनन कार्य होना है और जिन खदानों को पुरानी ईसी पर संचालित किया जा रहा है वहां पुरानी ईसी के प्रावधानों व शर्तों के तहत खनन कार्य होगा।
- निर्धारित एरिया के बाहर खनन कर रेत नहीं निकाली जा सकती है। पानी वाले क्षेत्र में अधिकतम 3 मीटर की गहराई तक ही खनन किया जा सकता है।
- नये नियम के अनुसार 30 जून तक रेत निकाली जा सकती है। रेत का खनन करने के बाद एक ही परमिट पर इसे दूसरे राज्य के किसी भी जिले में भेजा जा सकता है।
पमप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी ने भी स्पष्ट किया कि नदी की बीच धार से रेत निकालना प्रतिबंधित है।
Created On :   15 Jun 2020 8:42 AM GMT