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पहाडीखेरा में आयोजित श्रीरामकथा में श्रीराम विवाह में जमकर थिरके श्रोता
डिजिटल डेस्क, पहाडीखेरा । जिले के पहाडीखेरा बस स्टैण्ड में नवनिर्मित दिव्य नवनिर्मित श्रीरामजानकी मंदिर में श्री सीताराम की प्राण-प्रतिष्ठा के शुभ अवसर पर संगीतमयी श्रीराम कथा का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें कथा वाचक महामण्डलेश्वर श्री मोहनदास जी चित्रकूट धाम के अमृतमयी मुखारबिन्द से कथा का वाचन किया जा रहा है। मुख्य यजमान डॉ. छोटेलाल सिंगरौल द्वारा विधि-विधान से पूजा-अर्चना के बाद सातवें दिवस की कथा में बताया गया कि माता सीता के पिताजी महाराज जनक ने यह प्रण लिया था कि जो व्यक्ति भगवान शिव के धनुष को तोड देगा उसी के साथ मैं अपनी पुत्री सीता का विवाह सम्पन्न करूंगा। जनक जी द्वारा इसी कार्य के लिए मैथिल प्रदेश में स्वयंवर का आयोजन किया गया जिसमें देश-देशान्तर के राजागण उपस्थित हुए परंतु कोई भी योद्धा धनुष उठाना तो दूर धनुष को हिला तक नहंीं सका। तब राजा जनक का प्रण पूरा न होते देख काफी क्रोधित होते हैं। तब महामुनि विश्वामित्र द्वारा राजा जनक को चिंतित देख श्रीराम को धनुष तोडने का आदेश देते हैं और श्रीराम द्वारा धनुष को दो हिस्सों में बांट दिया जाता है और राजा जनक के प्रण के अनुसार उनकी पुत्री सीता का विवाह भगवान श्रीराम से सम्पन्न होता है। आपने कहा कि जिस प्रकार भगवान ने धनुष को तोडकर माता सीता से अपना नाता जोडा है उसी प्रकार हमें भी माया, मोह के बंधन को तोडकर भगवान की शरण लेनी चाहिए। मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम के अमृतमयी कथा को सुनकर जहां दर्शक भाव-विभोर हुए वहीं श्रोतागण अपने जीवन को धन्य कर रहे हैं।
Created On :   24 May 2022 4:01 PM IST