हिरनों की धमाचौकड़ी किसानों पर पड़ रही भारी, कई बार दुर्घटना का शिकार हो चुके हिरन

Bir -banging farmers are getting heavy, deer have been victims of accidents many times
हिरनों की धमाचौकड़ी किसानों पर पड़ रही भारी, कई बार दुर्घटना का शिकार हो चुके हिरन
खामगांव. हिरनों की धमाचौकड़ी किसानों पर पड़ रही भारी, कई बार दुर्घटना का शिकार हो चुके हिरन

डिजिटल डेस्क, खामगांव. बुलढाणा जिले के अनेक क्षेत्रों में हिरनों की संख्या अधिक है। हिरनों की कुलाचें मन मोह लेती हैं लेकिन इसका दूसरा पहलू भी है। बीते बरसों में हिरनों की कुलाचें जिले में किसानों के लिए बड़ी परेशानी बनकर उभरी हैं। फसल के सीजन में हिरनों से जहां किसान परेशान रहते हैं वहीं सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त के अभाव में हिरनों की जान पर भी संकट मंडराता रहता है।

पहले भी दम तोड़ चुके दर्जनों हिरन

वन्यजीवों का दायरा बीते बरसों में जिले भर में फैला है। इसी के साथ परेशानी भी बढ़ी है। पहले बोथा, मोताला, आदि क्षेंत्रों तक सीमित रहने वाले हिरन अब अन्य क्षेत्रों की ओर भी रुख करने लगे है लेकिन सुरक्षा बंदोबस्त का दायरा नहीं बढ़ा है। पिछले साल सड़क हादसे में हिरन की मौत हो गई थी। नांदुरा हाइवे पर इधर से उधर जाते हिरनों के झुंड कई बार नजर आते हैं। कई बार हाइवे व अन्य सड़कों पर ये वाहनों की चपेट में भी आ जाते हैं। कई बार श्वान आदि के हमले का शिकार भी हिरन होते हैं। जिले के क्षेत्रों में सड़क किनारे दीवारें भी बनी नहीं है जिससे सुरक्षा का सवाल सामने खड़ा है। 

खेतों की फेन्सिंग आवश्यक {जानकार लोगो के अनुसार हिरनों की धमचौकड़ी से खेतों को बचाने के लिए ऐसा पैकेज बने जिसके तहत खेतों की चारों ओर फेन्सिंग हो सके। सरकार या वन विभाग की ओर से किसानों को संसाधन उपलब्ध कराए जाएं। इससे हिरन आदि खेतों में प्रेवश नहीं कर पाएंगे। इसके अलावा दीवारों की ऊंचाई भी अधिक होनी चाहिए ताकि हिरन एकाएक इन्हें लांघकर बाहर नहीं निकल सकें। दीवार के अंदर हिरनों के भोजन-पानी के पुख्ता प्रबंध होने चाहिए। हालांकि यह भी माना जाता है कि हिरन एक ऐसा जीव है जिसे चारदीवारी तक सीमित नहीं रखा जा सकता।

इनकी उड़ी नींद  {बीते कई दिनों से खामगांव तहसील क्षेत्र में अनेक जगह खेतों में हिरन की धमाचौकड़ी किसानों के लिए सिरदर्द बन रही है। फसलों को बचाने के लिए किसानों को रतजगा तक करना पड़ रहा हैै। क्षेत्र के किसानों का कहना है कि हिरनों के झुण्ड के झुण्ड खेतों में प्रवेश करने के बाद धमाचौकड़ी मचाते हैं जिससे उनकी मेहनत पर पानी फिर जाता है। इस मामले में किसानों की ओर से कई बार अधिकारियों से भी गुहार की गई लेकिन समस्या का समाधान कहीं नजर नहीं आ रहा।

Created On :   5 Dec 2022 5:45 PM IST

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