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डीआरटी जबलपुर को लखनऊ से अटैच करने की वैधता को चुनौती - मप्र स्टेट बार कौंसिल की याचिका, केन्द्र सरकार से जवाब-तलब
डिजिटल डेस्क जबलपुर। ऋण वसूली अधिकरण (डीआरटी) जबलपुर को डीआरटी लखनऊ से अटैच किए जाने की वैधता को चुनौती दी गई है। दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस ज्योति सिंह की डिवीजन बैंच ने इस मामले में केन्द्र सरकार को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब देने का निर्देश दिया है। याचिका की अगली सुनवाई 20 अगस्त को निर्धारित की गई है। मप्र स्टेट बार कौंसिल की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि डीआरटी जबलपुर में मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के प्रकरणों की सुनवाई की जाती है। केन्द्र सरकार ने 5 जुलाई 2021 को आदेश जारी कर डीआरटी जबलपुर को डीआरटी लखनऊ से अटैच कर दिया है। डीआरटी जबलपुर में एक वर्ष से अधिक समय से पीठासीन अधिकारी का पद रिक्त है। अधिवक्ता सिद्धार्थ राधेलाल गुप्ता और अंकुर माहेश्वरी ने तर्क दिया कि ऋण राशि वसूली अधिनियम 1993 की धाराओं के विपरीत जाकर केन्द्र सरकार ने डीआरटी जबलपुर को डीआरटी लखनऊ से अटैच किया है। ऋण वसूली अधिनियम की धारा 4 के अंतर्गत प्रदेश की सीमाओं के बाहर डीआरटी सम्बन्धी क्षेत्राधिकार को नहीं स्थानांतरित किया जा सकता है। प्रारंभिक सुनवाई के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार से जवाब-तलब किया है। याचिका में यह भी माँग की गई है कि केन्द्र सरकार को निर्देश दिए जाएँ कि एक माह से ज्यादा समय तक डीआरटी के पीठासीन अधिकारी का पद खाली नहीं रहे, उस पद पर तत्काल नियुक्ति की जाए।
Created On :   10 July 2021 3:07 PM IST