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जबलपुर का चातुर्मास अत्यंत आनंददायक रहा-आचार्य विद्यासागर महाराज
डिजिटल डेस्क जबलपुर। आचार्य गुरुवर विद्यासागर जी महाराज का कल चातुर्मास की समाप्ति के पश्चात प्रात: 6:15 पर गमन हो गया, आचार्य श्री शहपुरा- भिटौनी की दिशा में विहार कर रहे हैं ऐसी संभावना है कि आचार्य श्री शाहपुरा में 10 नवंबर से 16 नवंबर तक आयोजित पंचकल्याणक महोत्सव में आशीर्वाद प्रदान करेंगे , अनियमित विहारी, आचार्य श्री के विहार की कोई भी जानकारी किसी को नहीं होती इसीलिए दिशा के अनुसार ही संभावना व्यक्त की जा रही है की आचार्य श्री दमोह जिले में स्थित कुंडलपुर तीर्थ क्षेत्र की तरफ जा सकते है। कुंडलपुर में पाषाण के विशाल जिनालय का निर्माण किया गया है, जिसका प्राण प्रतिष्ठा समारोह भी फरवरी में संभावित है।
आज आचार्य श्री ने तेवर की निकट अनिल पेट्रोल पंप परिसर में विश्राम किया एवं आहार चर्या अनिल जैन के चौके में संपन्न हुई। आचार्य श्री के पूजन का सौभाग्य छोटे लाल जैन को प्राप्त हुआ , आचार्य श्री ने ससंघ बिलखरबा ग्राम पंचायत में रात्रि विश्राम किया, आज रविवार को प्रात: आहार चर्या सहजपुर मे होना संभावित है
आचार्य श्री के दयोदय तीर्थ से गमन की सूचना मिलते ही हजारों की संख्या में श्रद्धालु संघ के पीछे-पीछे नम आंखों से विहार करने लगे , आहार के पूर्व आचार्य श्री ने संक्षिप्त उद्बोधन में कहा , चातुर्मास तो पहले भी हुए हैं जबलपुर में, दयोदय में भी हुए हैं और मढिया जी में भी हुए हैं, लेकिन यह चातुर्मास बहुत आनंददायक रहा, धर्म ध्यान हुआ, प्रतिदिन श्रद्धालुओं से आंगन भरा रहता था आज भी आंगन भरा हुआ है , आप इसी तरह धार्मिक वातावरण और धर्म ध्यान में डूबे रहो यही आशीर्वाद है, भगवान के समोसारण को देख कर कोई भी कभी थकता, व्यक्तित्व तो बहुत होते हैं लेकिन अरिहंत परमेष्ठी भगवान को देखते देखते गणधर कभी थकते नहीं है , ऐसा सभी काल हुआ है, अरिहंत के आगमन के पूर्व भी और उनके जाने के पश्चात भी। जबलपुर में चातुर्मास हो गया पर अभी चलते समय कोई कह रहा था की दर्शन तो हो गए बार-बार हो गए पर अभी भी मन नहीं भरा , ईश्वर की भक्ति में अपना मन लगाओ, हम भगवान से प्रार्थना करते है कि इनका मन ईश्वर की भक्ति से कभी ना भरे। आचार्य श्री के साथ मुनि महाराज , छूल्लक महाराज , ब्रह्मचारी भैया ब्रह्मचारिणी दीदी एवं ज्ञानोदय विद्यापीठ की शिक्षक दीदी एवं हजारों श्रद्धालु भी विहार कर रहे हैं।
जबलपुर में इस वर्ष चातुर्मास इसलिए भी बहुत महत्वपूर्ण हुआ क्योंकि आचार्य श्री के आशीर्वाद से पूर्णायु आयुर्वेद विद्यापीठ एवं 800 बिस्तरों के आयुर्वेद चिकित्सालय का शिलान्यास संपन्न हुआ यह देश में सबसे बड़ा आयुर्वेद का केंद्र होगा जिसमें पारंपरिक आयुर्वैदिक विधि से रोगों का इलाज किया जाएगा साथ ही 300 बिस्तर असहाय एवं गरीब मरीजों के लिए आरक्षित किए जाएंगे । मध्य भारत को प्राप्त होने वाली यह महत्वपूर्ण उपलब्धि सदैव आचार्य श्री के चातुर्मास के रूप में याद रखी जाएगी।
Created On :   6 Nov 2021 7:04 PM IST