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न्यू भेड़ाघाट जैसे टूरिस्ट प्लेस में सफाई का रोना, सुंदरता से भरे इस हिस्से को भुला दिया

सात दिनों में बस एक बार आते हैं सफाई कर्मी, शेष दिनों में कोई इंतजाम नहीं, पिकनिक मनाकर आसपास गंदगी छोड़ जाते हैं पर्यटक, देखने वाला कोई नहीं
डिजिटलय डेस्क जबलपुर । भेड़ाघाट को जैसे अनदेखी की वजह से आज भी पूरी दुनिया में वाजिब पहचान नहीं मिली, वही हाल न्यू भेड़ाघाट का है। नर्मदा का दूसरा किनारा जो असीम सुंदरता लिये हुये है उसको भी पूरी बेरुखी भरे अंदाज में कुछ सालों में जिम्मेदारों ने ठिकाने सा लगा दिया है। बारिश के बाद बीते सालों में जो तबाह हुआ तो संसाधन जुटाने की कोशिश नहीं हुई और अब तो यह हाल है कि इसके आसपास साफ-सफाई तक ढँग से नहीं हो रही है। टूरिज्म के नये सीजन में अभी यह हाल है कि हर तरफ गंदगी फैली रहती है और देखने वाला कोई नहीं है। इस तट के किनारे छोटी दुकान चलाकर जो अपनी जीविका चला रहे हैं वे ही सफाई कर लेते हैं, नहीं तो सफाई कर्मी तो कहीं दिखाई ही नहीं देते हैं। सवा लाख साल पुराने जलोदर, मार्बल, एक साथ पाँच झरनों के आनंद के साथ नैसर्गिक सुंदरता से भरा हुआ इलाका देखकर किसी का भी मन प्रसन्न हो सकता है, ऐसे स्थान में भी सफाई लेकिन बड़ी चुनौती बनी हुई है। वैसे तो सामान्य दिनों में भी यहाँ पर सफाई का रोना है, लेकिन जब पर्यटन का सीजन पीक पर होता है उस दौरान
यहाँ पर ज्यादा गंदगी नजर आ रही है। भीड़ बढऩे के साथ परेशानी भी बढ़ जाती है। जो पर्यटक यहाँ आते हैं वे कहते हैं कि एक बेहतर प्राकृतिक जगह में गंदगी ज्यादा आँखों को चुभती नजर आती है। पर्यटन का ढिंढोरा पीटने वाले, जबलपुर को टूरिस्ट सर्किट से जोडऩे का ख्वाब दिखने वाले यदि थोड़ी सफाई पर ही ध्यान दे दें तो बड़ी बात होगी।
समस्या इस वजह से
भेड़ाघाट नगर परिषद के अधिकारियों का कहना है कि भेड़ाघाट का दूसरा किनारा यानी न्यू भेड़ाघाट, नगर पंचायत के अंतर्गत आता है। उस हिस्से में सफाई कर्मी स्थाई रूप से तैनात नहीं होते हैं। सफाई कर्मी स्थाई रूप से तैनात नहीं होते हैं तो रेग्युलर सफाई उस हिस्से में नहीं हो पाती है। नगर परिषद के मुख्य अधिकारी एके रावत कहते हैं कि उनके दायरे में न आने के बाद भी वे सफाई कर्मी उस हिस्से में भेजते हैं, ताकि सफाई होती रहे। दावों से अलग जो हाल अभी है उसको देखकर लगता है कि अभी पर्यटकों की जब ज्यादा भीड़ है उस समय ज्यादा अनदेखी की जा रही है।
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ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।