बिजली केंद्र के कारण चंद्रपुर में बढ़ सकता है मानव-बाघ संघर्ष

Conflict may increase in Chandrapur due to power station
बिजली केंद्र के कारण चंद्रपुर में बढ़ सकता है मानव-बाघ संघर्ष
बिजली केंद्र के कारण चंद्रपुर में बढ़ सकता है मानव-बाघ संघर्ष

डिजिटल डेस्क, चंद्रपुर।  बीते कुछ दिनों से शहर के संभ्रांत इलाकों के आसपास बाघ मुक्त विचरण करते हुए नजर आ रहा है, इससे शहर परिसर में दहशत फैल गयी है। ज्यादातर, यह बाघ बिजली केंद्र परिसर में दिखाई दे रहा है। जिस कारण शहर में मानव-बाघ संघर्ष छिड़ सकता है। ऐसे में इस बाघ को जल्द से जल्द स्थानांतरित करने की मांंग वन्यजीव प्रेमियों ने  की है। बिजली केंद्र परिसर में बढ़ा अनावश्यक बियाबान, झुड़पी जंगल, आवारा मवेशियों का विचरण व नदी-नालों के कारण यह परिसर बाघ के बेहतरीन अधिवास के रूप में विकसित हुआ है। इस बीच बाघिन ने प्रजनन के लिए इस क्षेत्र का चयन किया है। इस तरह से औद्योगिक परिसर में बाघ की पनाह बनना, भविष्य की दृष्टि से खतरनाक है। विकसित होते शावक भी शहर की ओर रुख कर रहे हैं। वर्तमान में बाघ के विकसित हुए शावक अब नागपुर मार्ग के दाहिने ओर नागपुर मार्ग पर, बिजली केंद्र की सुरक्षा दीवार के पास राष्ट्रवादीनगर, तुलसी नगर से होते हुए अब आगे इरई नदी से सफर कर वडगांव, हवेली गार्डन, दाताला-कोसारा के खेतों से मानव बस्ती तक पहुंचा है। जो बेहद गंभीर है। 

उपाय योजनाओं में कोताही
 बीते वर्ष बिजली केंद्र में वन्यजीवों की समस्या पर मुंबई में मुख्यमंत्री, वनमंत्री के साथ बैठक हुई थी। "राज्य वन्यजीव सलाहकार मंडलÓ की बैठक दिसंबर 2018  में हुई थी।   मानद वन्यजीव रक्षक बंडु धोतरे ने समस्या की गंभीरता बतायी थी। वनविभाग के प्रधान सचिव ने इस पर स्वंतत्र बैठक लेते हुए कार्यवाही के निर्देश भी दिये थे। कलेक्टर व एसपी ने भी समय-समय पर सीटीपीएस को उपाय योजना के निर्देश दिये हैं। परंतु अपेक्षाकृत काम नहीं हुआ। 

शहर के ये इलाके संवेदनशील
बाघ व वन्यजीवों की दृष्टि से संवेदनशील बने शहरी इलाकों में वडगांव, हवेली गार्डन, जगन्नाथ बाबा मठ, दाताला कोसारा के खेत परिसर  शामिल हैं। बबूल का कंटीला जंगल गैरजरुरी रुप से बढ़ने के कारण यहां वन्यजीव आ रहे हैं। इस परिसर से आवारा मवेशी व सुअरों का स्थायी बंदोबस्त करना अब अनिवार्य हो गया है। इस ओर इको-प्रो द्वारा मनपा आयुक्त का ध्यानाकर्षण किया गया है। 

बाघों का "स्थांनातरणÓ आवश्यक
बिजली केंद्र परिसर में बाघ का संचार देखा गया। साथ ही हर वर्ष मादा बाघ द्वारा यहां शावकों को जन्म दिये जाने का खुलासा इको-प्रो संस्था ने किया है। इन शावकों का यहां लालन-पालन होता रहा तो, आनेवाले समय में बेहद खतरनाक होगा। इसलिए इन बाघों का एकत्रित रूप से स्थानांतरण करना अब जरूरी हो गया है। वनविभाग इसके लिए सकारात्मक होने की बात कहीं जा रही है। 

 बना है एक्शन प्लान
सीटीपीएस के बाघों की समस्या पर हाल ही में हुई बैठक के दौरान जिलाधिकारी ने एक समिति बनाई थी। इसमें उपाय योजनाओं का प्रारूप बनाया गया। उस पर तत्काल अमल की जरूरत बतायी गयी है। बिजली केंद्र परिसर के बाघ शहर में आना खतरनाक है। इसमें कोताही न बरतने की अपेक्षा मानद वन्यजीव रक्षक धोतरे ने की है। 

 

Created On :   19 Dec 2019 9:57 AM GMT

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