Chandrapur News: गोंदिया में पानी की कमी और गदंगी से मर रहीं रामाला तालाब की मछलियां!

गोंदिया में पानी की कमी और गदंगी से मर रहीं रामाला तालाब की मछलियां!
  • मृत मछलियों से उठती बदबू ने किया सांस लेना दूभर
  • गंदगी की वजह से तालाब अपना अस्तित्व खो रहा

Chandrapur News गोंडकालीन ऐतिहासिक विरासत वाला चंद्रपुर के एकमात्र बचे रामाला तालाब में इन दिनों पानी की कमी की वजह से मछलियां मरने की चर्चा है। मरी मछलियों की बदबू से तालाब किनारे सुबह-शाम टहलने आने वाले और आस पास के लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

तालाब के किनारे पर बढ़ते अतिक्रमण और इसमें डाली जाने वाली गंदगी की वजह से तालाब अपना अस्तित्व खो रहा है। प्रदूषण और गहराई कम होने की समस्या भी गंभीर है, लेकिन अभी तक कोई ठोस उपाय नहीं किया गया है। संभावत: इसकी वजह से जून महीने में तालाब में पानी कम होने से मछलियों की मौत हो रही है। गणेशोत्सव और दुर्गोत्सव के समय पर मूर्तियों के विसर्जन से होने वाले प्रदूषण की रोकथाम के लिए जिला प्रशासन ने कुछ वर्षों से तालाब में मूर्ति विसर्जन पर रोक लगा दी है। इसके बावजूद जून महीने में तालाब का जलस्तर घटने से किनारे दिखाई देने लगे हैं।

शहर के पांच तालाब में से एक का ही अस्तित्व बरकरार : सुनहरे गोंडकालीन इतिहास के साक्षी रामाला तालाब अतिक्रमण एवं प्रशासन की उदासीन नीति के कारण धीरे-धीरे अपना अस्तित्व खोता जा रहा है। कुल 85.3 एकड़ में फैला रामाला तालाब का 11 एकड़ क्षेत्र पहले की अतिक्रमण की भेंट चढ़ गया है। पहले चंद्रपुर शहर में रामाला, कोनेरी, घुटकाला, लेंड़ी और गौरी ऐसे पांच तालाब थे किंतु चार तालाब अतिक्रमण की भेंट चढ़ गए।

2009 में हुआ था तालाब का गहराईकरण: वर्ष 2009 में तत्कालीन जिलाधिकारी प्रदीप कालभोर ने तालाब के गहराईकरण का बीड़ा उठाया और जिले के स्वयंसेवी संस्था, राजनीतिक पार्टी के पदाधिकारी, स्कूल, काॅलेज के विद्यार्थियों के साथ उद्योग, प्रशासन ने अपना योगदान दिया था। प्रशासन ने तालाब में खुदाई कर सभी ओर तालाब की गहराई 8 से 10 फीट कराई थी किंतु वर्तमान में पुन: एक बार रामाला तालाब में की गहराई कम प्रतीत हो रही है।

मछुअारे करते हैं मछली पालन: शहर के इस तालाब में यहां के भोई समाज (मछुअारे) मछली पालन का व्यवसाय करते हैं। बरसात के बाद ये लोग तालाब में मछलियों के बीज डालते हैं और बाद यहां से मछलियों को पकड़कर पास के बाजार और शहरों में बेचते हंै। बरसात के दिनों में मछलियां और बीज बह जाने का डर होने की वजह से बरसात से यह व्यवसाय नहीं होता है लेकिन तालाब में बची हुई मछलियां तालाब के सतह पर मरी हुई नजर आ रहीं हैं। इसकी वजह से यहां पर सुबह शाम सैर के लिए आने वाले लोगों और तालाब के आस पास रहने वालों को तेज बदबू का सामना करना पड़ रहा है।

Created On :   13 Jun 2025 2:36 PM IST

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