कोरोना का कहर - 700 से बढ़कर 2100 तक जा पहुँची है ऑक्सीजन सिलेण्डरों की डिमांड

Corona havoc - Demand for oxygen cylinders has increased from 700 to 2100
कोरोना का कहर - 700 से बढ़कर 2100 तक जा पहुँची है ऑक्सीजन सिलेण्डरों की डिमांड
कोरोना का कहर - 700 से बढ़कर 2100 तक जा पहुँची है ऑक्सीजन सिलेण्डरों की डिमांड

* ऑक्सीजन माँग रहा शहर, कम पड़ रहे बेड
* ब्लैक में बिक रहे रेमडेसिविर इंजेक्शन ,मेडिकल, विक्टोरिया में बिल्डिंगें हुईं रिजर्व
कोरोना का संक्रमण अपनी चरम स्थिति पर है। गुरुवार को एक बार फिर अपने सभी पिछले रिकार्ड तोड़ते हुए 326 मरीजों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई, इसका वास्तविक आँकड़ा इस सरकारी रिकार्ड से और भी ज्यादा है। सरकारी रिकार्ड में फिर से मात्र एक मौत दिखाई गई, जबकि प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं कि अकेले चौहानी मुक्तिधाम में ही गुरुवार को करीब 13 मृतकों का अंतिम संस्कार कोविड प्रोटोकॉल के तहत किया गया। वहीं एक्टिव मरीजों की संख्या का ग्राफ 21 हजार की संख्या को पार कर गया है। हालात यह हैं कि मरीजों की बेतहाशा बढ़ रही संख्या के कारण अस्पतालों में बेड कम पड़ गए हैं। 2000 रुपए कीमत का रेमडेसिविर इंजेक्शन ब्लैक में 5400 और 6000 रुपए तक का बिक रहा है। हफ्ते भर में ऑक्सीजन सिलेंडरों की खपत तीन गुना बढ़कर 700 से 2100 तक जा पहुँची है। हर तरफ हड़कम्प है। प्रशासन सकते में है और जनता बेचैन है। मेडिकल व जिला अस्पताल में दो बिल्डिंगें कोविड के मरीजों के लिए रिजर्व कर दी गई हैं। इधर शहर के नेता खामोशी साधे बैठे हैं और मास्क व सोशल मीडिया पर सलाह बाँटकर अपना फर्ज निभा रहे हैं। मरीजों के लिए कम पड़ रहे संसाधनों को बढ़ाने के लिए कहीं कोई तल्ख आवाज सुनाई नहीं दे रही। हालात यही रहे तो संक्रमण पर काबू पाने की डगर और मुश्किल हो जाएगी। 
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
ऑक्सीजन की बढ़ती मांग को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय भोपाल से लेकर प्रशासन तक इसकी सप्लाई को लेकर चिंतन में जुट गए हैं। ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली यूनिट से संपर्क कर उत्पादन कैसे बढ़ाया जा सकता है, इसकी कोशिश की जा रही है। वैसे मेडिकल कॉलेज अस्पताल में अभी 176 कोविड ऑक्सीजन बेड, विक्टोरिया में 118 कोविड ऑक्सीजन बेड़ खाली हैं। मेडिकल अस्पताल अधीक्षक डॉ. राजेश तिवारी कहते हैं कि सप्लाई में कहीं कोई कमी नहीं है। पहले के मुकाबले अब ज्यादा क्षमता के साथ ऑक्सीजन मरीजों तक पहुँच रही है। बीते साल के मुकाबले संसाधन बढ़े हैं। जबलपुर में अभी ऑक्सीजन की उतनी कमी नहीं है, लेकिन विशेषज्ञ यह भी मान रहे हैं कि यदि मरीजों की संख्या आगे 10 दिन में इसी रफ्तार से बढ़ी तो हालात बेकाबू भी हो सकते हैं। उत्पादन के अनुपात में फिलहाल अभी डिमाण्ड ज्यादा है। 
6000 में बिक रहा 2000 का इंजेक्शन 
बढ़ते कोरोना मरीज और घटते संसाधनों के बीच सबसे अधिक मारामारी लंग्स इन्फेक्शन डैमेज कंट्रोल में काम आने वाले रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर है। पूरे प्रदेश में इसको लेकर हायतौबा मची हुई है। जबलपुर में बताया जा रहा है कि गुरुवार को इसके 1000 इंजेक्शन मिले हैं। जरूरत के हिसाब से ये अलग-अलग अस्पतालों को दिए गए हैं। नोडल अधिकारी आशीष पाण्डेय के मुताबिक जहाँ ज्यादा जरूरी वहाँ पहले दिए गए हैं। वैसे इन इंजेक्शनों को लेकर आरोप ये लगाए जा रहे हैं कि अस्पताल सस्ते दामों में लेकर प्रति नग 5500 रुपए से 6000 तक वसूल रहे हैं। हर कंपनी की अपनी अलग कीमत है, इसको 2000 रुपए से ज्यादा में नहीं लिया जा सकता है। इस पर मरीजों के परिजनों का कहना है कि जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहे आदमी से भी इसकी ज्यादा कीमत ली जा रही है। ड्रग एसोसिएशन के सुधीर भटीजा कहते हैं कि एमआरपी से ज्यादा दाम इसके नहीं लिए जा सकते हैं। हर कंपनी का अलग-अलग रेट है। 
तीन से चार दिन में सप्लाई नॉर्मल संभव
कमी के बीच दावा किया जा रहा है कि रेमडेसिविर की सप्लाई 3 से 4 दिनों में सामान्य हो सकती है। जानकारों का कहना है कि दवा कंपनियों ने घटते मरीजों की वजह से इसका उत्पादन घटा दिया था, अब संक्रमण के बाद फिर से उत्पादन बढ़ा है, जिससे आसपास कुछ दिनों में यह सहजता से भी मिल सकता है। वैसे अभी इस पर पूरा नियंत्रण प्रशासन कर रहा है। सप्लाई और डिमाण्ड पर नजर रखी जा रही है।
 

Created On :   9 April 2021 9:08 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story