रजहा तालाब गहरीकरण में भ्रष्टाचार, तीन अफसरों पर होगी विभागीय जांच 

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रजहा तालाब गहरीकरण में भ्रष्टाचार, तीन अफसरों पर होगी विभागीय जांच 

डिजिटल डेस्क शहडोल । सिंहपुर के रजहा तालाब जल क्षमता विस्तारीकरण, नवीनीकरण कार्य में हुई अनियमितता पर ग्रामीण यांत्रिकी सेवा (आरईएस) के तत्कालीन कार्यपालन यंत्री सहित तीन अधिकारियों पर विभागीय जांच होगी। कमिश्नर आरबी प्रजापति ने बुधवार को तत्कालीन कार्यपालन यंत्री शहडोल वर्तमान कार्यपलन यंत्री उज्जैन राजेश श्रीवास्वत, तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी वर्तमान सहायक यंत्री कटनी केके गुप्ता और सहायक यंत्री सोहागपुर जनपद (निलंबित) वर्तमान मुख्यालय कार्यपालन यंत्री जल संसाधन उमरिया रविकुमार मिश्रा को विभागीय जांच के लिए आरोप पत्र जारी किया है। तीनों अधिकारियों को अलग-अलग आरोप पत्र जारी करते हुए 15 दिन के भीतर जवाब मांगा गया है। निर्धारित अवधि में जवाब प्राप्त नहीं होने पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। गौरतलब है कि 12 मार्च को कमिश्नर जांच के लिए सिंहपुर पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने तालाब का निरीक्षण किया था और ग्रामीणों से तालाब में हुए कार्यों को लेकर चर्चा भी की थी। वहीं 16 मार्च को कमिश्नर के पास कई श्रमिक मजदूरी नहीं मिलने की शिकायत लेकर पहुंचे थे। शिकायत में इस बात का भी जिक्र था कि तालाब की मेढ़ पर लगे लगभग डेढ़ सौ वृक्षों को बिना पंचायत की अनुमति को काट दिया गया।
कूटरचना कर जारी कराई राशि 
तत्कालीन कार्यपालन यंत्री आरईएस को जारी आरोप पत्र में कहा गया है कि रजहा तालाब जल क्षमता विस्तारीकरण, नवीनीकरण कार्य की जांच में पाया गया कि प्राक्कलन में स्थल के विपरीत आइटमों का समावेश कराकर स्वीकृति जारी की गई। तालाब का जल क्षमता विस्तारीकरण तकनीकी स्वीकृति बिना समुचित स्थल निरीक्षण के अपने अधीनस्थ अमले से कूटरचना कर रुपए 72.27 लाख की जारी की जाकर शासन को वित्तीय छति पहुंचाई गई। इसी प्रकार तकनीकी स्वीकृति प्राक्कलन में तालाब के कैचमेंट एरिया के अग्रभाग में नई बंड (मेढ़) बनाने के लिए 5043 घन मीटर मिट्टी का प्रावधान कराया गया जो स्थल अनुसार अनुचित पाया गया। इससे शासन को आर्थिक छति हुई, जिसके लिए ईई दोषी हैं। 
मेढ़ की मिट्टी बह गई, छोटा हुआ तालाब का स्वरूप  
तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी को जारी आरोप पत्र में कहा गया है कि तालाब में जल क्षमता विस्तारीकरण, नवीनीकरण कार्य प्रारंभ करने के पूर्व कार्य स्थल के बंड (मेढ़) तालाब के बेसिन के चारों तरफ  के फोटोग्राफ  नहीं लिऐ गए। साथ ही खोदी गई मिटटी को अंदर के तरफ  मेढ़ में डाल दिया गया। तकनीकी स्वीकृति प्राक्कलन में जंगल सफाई का प्रावधान कराया जाकर प्राक्कलन के साथ स्थल का छायाचित्र नहीं लगाया गया, जिससे बबूल के पेड़ों की कटाई की शिकायत की स्थिति निर्मित हुई। इसी प्रकार खोदी गई अधिकतम मिट्टी की मात्रा को पुरानी बंड के अंदर भाग में डालवाया गया। मिट्टी में अच्छे तरीके से रोलिंग नहीं कराई गई, जिस कारण लूज मिट्टी पानी के बहाव से कटकर तालाब के अंदर आने से तालाब का स्वरूप छोटा हो गया। 
मस्टररोल में डाले फर्जी नाम, श्रमिकों को नहीं मिली मजदूरी 
सहायक यंत्री को जारी आरोप पत्र में कहा गया है कि तालाब के निर्माण कार्य के प्राक्कलन में प्रस्तावित अग्रभाग (कैचमेंट एरिया) में नया बंड बनाकर तालाब के पानी के प्रकृतिक आवक को रोक कर गांव का गंदा पानी आने का सोर्स बनवाया गया। आपके द्वारा तालाब निमार्ण कार्य में लगे मजदूरों की मजदूरी राशि का कम, ज्यादा भुगतान किया जाना व जारी मस्टर रोल में फर्जी नाम डालकर शासकीय राशि का बंदरबाट किया गया।

Created On :   19 March 2020 3:05 PM IST

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