Shahdol News: डीएपी की किल्लत, विकल्प से भ्रमित किसान, चार साल बाद भी किसानों पर भरोसा नहीं जगा पाया कृषि विभाग

डीएपी की किल्लत, विकल्प से भ्रमित किसान, चार साल बाद भी किसानों पर भरोसा नहीं जगा पाया कृषि विभाग
  • डीएपी की किल्लत, विकल्प से भ्रमित किसान
  • चार साल बाद भी किसानों पर भरोसा नहीं जगा पाया कृषि विभाग

Shahdol News: खरीफ सीजन में बोवनी प्रारंभ होने के साथ ही किसानों को एक बार फिर से डीएपी खाद की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। बीते वर्ष 5 हजार 84 मिट्रिक टन वितरण की तुलना में इस साल वर्तमान में 15.50 मिट्रिक टन ही डीएपी का स्टॉक शेष बचा है। डीएपी की शॉर्टेज के बीच कृषि विभाग के अधिकारी 12:32:16, 20:20:00, 20:20:0:13, 16:16:16 व 15:15:15 को डीएपी का विकल्प बता रहे हैं। इन खादों का स्टॉक भी क्रमश: 33, 47, 2050, 372 व 54 मिट्रिक टन है पर किसानों का भरोसा इन खाद पर नहीं है। किसान केंद्र में पहुंचकर डीएपी मांगते हैं तो उन्हे विकल्प के खाद का नाम बताया जाता है। किसान खेती में रिश्क नहीं लेना चाहते हैं और बाजार में मंहगे दाम पर खाद लेने विवश हैं। इस मामले में कृषि विभाग की विफलता ऐसे भी समझी जा सकती है कि डीएपी खाद की किल्लत बीते चार सालों से हर साल रहती है। इस समस्या से निपटने के लिए विकल्प के तौर पर अलग-अलग खाद है पर किसान भरोसा नहीं कर पा रहे हैं। इस मामले में जागरूकता जगा पाने में विभाग विफल रहा है।

यूके्रन-रूस युद्ध के कारण कच्चे माल की आपूर्ति का भी असर

डीएपी खाद बनाने के लिए कच्चे माल का आयात यूके्रन से होता था। रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण कच्चे माल की आपूर्ति पर असर पड़ा और उसका असर डीएपी खाद की सप्लाई पर पड़ा है।

ज्यादा सब्सिडी के कारण सप्लाई कम

जानकार बताते हैं कि डीएपी में सरकार को सब्सिडी ज्यादा देनी पड़ रही है। इसलिए इसकी सप्लाई कम कर बतौर विकल्प दूसरे खाद की सप्लाई की जा रही है।

खाद के साथ कीटनाशक बेचने का दबाव भी कमी का कारण

यूरिया खाद के कुछ डीलर आधे दाम का कीटनाशक बेचने का दबाव बना रहे हैं। प्राइवेट विक्रेता बताते हैं कि किसान खाद तो लेते हैं पर कीटनाशक नहीं लेते हैं। इसलिए विक्रेताओं ने यूरिया खाद मंगवाना कम कर दिया।

फैक्ट फाइल

Created On :   23 Jun 2025 6:23 PM IST

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