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Shahdol News: माई की बगिया में ही सूख रहे सदियों पुराने आम के वृक्ष

Shahdol News: मां नर्मदा की उद्गम स्थल अमरकंटक स्थित माई की बगिया में सदियों पुराने आम के वृक्ष अब सूखने लगे हैं। यहां वही पेड़ सूख रहे हैं, जिनके चारो तरफ सीमेंट व टाइल्स के चबूतरे बने हैं। आम के वृक्षों के सूखने से संत गुस्से में हैं। इनका कहना है कि अमरकंटक में प्राकृतिक विकास के बजाय कांक्रीट के जंगल तैयार हो रहे हैं। इसका सीधा नुकसान यहां पर्यावरण पर पड़ रहा है।
माई की बगिया में सौंदर्यीकरण के दौरान पेड़ों के प्राकृतिक व पौराणिक महत्व को भी दरकिनार कर दिया गया। यहां सौंदर्यीकरण का काम पर्यटन मंत्रालय द्वारा प्रसाद योजना से स्वीकृत 49 करोड़ रूपए से किया गया है। इसमें माई की बगिया के अलावा कपिलधारा, रामघाट सहित अन्य स्थान भी शामिल हैं।
संत बोले : पेड़ के चारों ओर चबूतरे से नुकसान
जड़ों तक पानी और हवा के नहीं पहुंचने और आसपास मिट्टी में जलसंचय नहीं होने से पेड़ को पर्याप्त नमी नहीं मिलती। इससे पेड़ धीरे-धीरे बीमार होकर सूखने लगते हैं। चबूतरा जड़ों को ऑक्सीजन मिलने से रोकता है, जिससे वे कमजोर हो जाती हैं और पेड़ की सेहत बिगड़ती है। जानकार बताते हैं कि यह एक गलतफहमी पर आधारित है कि चबूतरे से पेड़ मजबूत होते हैं, जबकि वास्तव में यह उनके प्राकृतिक विकास में बाधा डालता है।
माई की बगिया का पौराणिक महत्व
अमरकंटक स्थित माई की बगिया का पौराणिक महत्व बताते हुए संत कहते हैं कि यहां मां नर्मदा और सोनभद्र का विवाह होना था जो नाउन जोहिला के कारण नहीं हो सका और दोनों विपरीत दिशाओं को निकल चले। इसलिए सोन और नर्मदा नदी एक-दूसरे की विपरीत दिशा में बहती हैं। पौराणिक महत्व के कारण अमरकंटक आने वाले श्रद्धालु माई की बगिया जरूर पहुंचते हैं और महसूस करते हैं कि सदियों पहले यहीं आम के पेड़ के बगीचे में मंडप सजाया गया होगा। यहां संत इसलिए भी चिंतित हैं कि आम व दूसरे पेड़ ऐसे ही सूखते गए तो श्रद्धालु क्या देखेंगे।
Created On :   3 Nov 2025 1:07 PM IST












