Shahdol News: 56 दिन ऑब्जर्वेशन के बाद जीती जिंदगी की जंग

56 दिन ऑब्जर्वेशन के बाद जीती जिंदगी की जंग
  • साढ़े 6 माह की प्रिमेच्योर जन्मीं जुड़वा बच्चियों में खून की थी कमी
  • जिला चिकित्सालय में मिला नवजीवन

Shahdol News: साढ़े 6 माह में ही जन्मी ऐसी जुड़वा बच्चियों को शासकीय जिला चिकित्सालय के एसएनसीयू विभाग में नया जीवन मिला, जिनका वजन एक किलो से भी कम और खून की कमी थी। एसएनसीयू में पूरे 56 दिन तक उपचार के बाद दोनों नवजातों को मौत के मुंह से निकालकर नया जीवन दिया गया। प्रथम प्रसव में अपने बच्चे को खो देने के बाद छत्तीसगढ़ के जिला कोरिया निवासी जीतेन्द्र मौर्य अपनी पत्नी विमला देवी मौर्य को प्रसव के लिए जिला अस्पताल शहडोल लेकर पहुंचे।

इस बार भी दुर्भाग्य ने उनका साथ नहीं छोड़ा और केवल 6.5 माह में ही विमला देवी ने 16 जुलाई की सुबह बहुत कमजोर जुड़वा बच्चियों को जन्म दिया। पहली बच्ची का वजन सिर्फ 940 ग्राम था, जो अत्यंत कमजोर और सांस लेने में असमर्थ थी। बच्ची को तुरंत एसएनपसीयू में भर्ती कर वेंटीलेटर पर रखा गया। प्रीमट्युरिटी के कारण बच्ची के फेफड़े सांस लेने लायक स्थिति में नहीं थे, जिस पर सरफेक्टन्ट (फेफड़ों को फुलाने में मदद करने वाली दवा) दिया गया।

हृदयगति कण्ट्रोल करने जीवन रक्षक दवाएं चालू की गईं। इस बीच दूसरी बच्ची का जन्म हुआ, जिसका वजन भी 1.23 किलो था, इसे भी सांस लेने में काफ़ी दिक्कत हो रही थी। बच्ची को तुरंत सीपीएपी मशीन में रखते हुए इलाज शुरू किया गया। पहली बच्ची को 8 दिन वेंटीलेटर पर रखना पड़ा, उसके बाद 2-2 एमएल मां का दूध हर दो घंटों में देना चालू किया गया। 16 वें दिन इसे खून की और प्लेटलेट्स की कमी होने पर ब्लड दिया गया। कुल 4 बार ब्लड दिया गया। साथ ही दूसरी बच्ची को 6 दिन सीपीएपी मशीन में रखना पड़ा। फिर धीरे धीरे 2-2 एमपी मां का दूध ट्यूब से पिलाना शुरू किया गया।

छत्तीसगढ़ के मरीजों का इसलिए है एमपी में इलाज पर भरोसा

एसएनसीयू इंचार्ज शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. सुनील कुमार हथगेल ने बताया कि 940 ग्राम वजन वाली पहली बच्ची का 25वें दिन हीमोग्लोबिन मात्र 4.5 ग्राम था। एक समय तो ऐसा लग रहा था कि इसे बचाना संभव नहीं होगा। लेकिन दो दिन बाद नर्सिंग इंचार्ज को सफलता मिली, इंट्रकथ लगा और बच्ची को ब्लड चढ़ाया गया। इसके बाद दोनों बच्चों में सुधार होता रहा। रोज 10-15 ग्राम वजन बढ़ता रहा। आज 56 दिनों बाद दोनों का वजन 1.21 और 1.46 किलो है। एसएनसीयू के नर्सिंग ऑफिसर्स, डॉक्टर्स के प्रयासों से दोनों बच्चियों ने जीवन की जंग जीत ली।

Created On :   11 Sept 2025 1:10 PM IST

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