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Shahdol News: शांतिपूर्ण प्रदर्शन पर एफआईआर के विरोध में एबीवीपी ने आईजी को सौंपा ज्ञापन

- विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों पर लगाए गंभीर आरोप
- पीड़ितों के खिलाफ ही अमरकंटक थाने में एफआईआर दर्ज कर दी गई।
Shahdol News: इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय (आईजीएनटीयू) में 15 अगस्त को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) कार्यकर्ताओं के साथ मारपीट का मामला बुधवार को आईजी कार्यालय पहुंचा। एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने आईजी को सौंपे ज्ञापन में आरोप लगाया कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन के दौरान विश्वविद्यालय के प्रोफेसर भूमिनाथ त्रिपाठी, विकास ङ्क्षसह, संतोष कुमार सोनकर और तरूण ठाकुर के उकसाने पर संदिग्ध शोधार्थियों ने जानबूझकर एबीवीपी के संगठन मंत्री और कार्यकर्ताओं से मारपीट की।
इसके बाद भी पीड़ितों के खिलाफ ही अमरकंटक थाने में एफआईआर दर्ज कर दी गई। एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने अमरकंटक पुलिस द्वारा एबीवीपी कार्यकर्ताओं के खिलाफ दर्ज की गई झूठी एफआईआर को निरस्त करने के साथ ही दोषियों पर कठोर कार्रवाई की मांग रखी।
विश्वविद्यालय प्रबंधन ने एक प्रोफेसर को माना दोषी
आईजीएनटीयू प्रबंधन ने बताया कि 33 डिपार्टमेंट में लगभग 4 सौ छात्रों ने पीएचडी में प्रवेश लिया। प्रवेश का माध्यम रिसर्च एंट्रेंस टेस्ट और नेट, जेआरएफ था। जिसमें नेट जेआरएफ गेट के लिए छूट दी गई थी उसी का फायदा उठाते हुए प्रो. नीरज राठौर ने सुनियोजित साजिश रचते हुए न केवल प्रवेश नियमों की अवहेलना की, बल्कि धोखाधड़ी और कदाचार कर संस्थान की गरिमा को गम्भीर रूप से क्षति पहुचाई है।
विश्वविद्यालय प्रबंधन ने प्रारम्भिक जांच के दौरान पाया गया कि प्रो. राठौर ने अभ्यर्थी अनरन्य यादव का 2008 में समाप्त हो चुका गेट प्रमाणपत्र को जानबूझकर वैध बताकर सत्यापित किया और उसे प्रवेश प्रक्रिया में सम्मिलित कराया। जांच में यह भी सामने आया कि प्रो. राठौर और उक्त अभ्यर्थी दोनों ने एक ही समय पर थापर विश्वविद्यालय, पटियाला से शिक्षा प्राप्त की थी और प्रो. राठौर ने अपने पुराने परिचित को लाभ पहुँचाने हेतु अपने पद का दुरुपयोग किया।
उन्होंने पात्रता मानदंडों को दरकिनार कर धोखाधड़ी से गलत दस्तावेज़ों को सही घोषित किया और प्रवेश की औपचारिकताओं को गुमराह करने का कार्य किया। प्रो. राठौर ने एक अयोग्य अभ्यर्थी को 80 अंक देकर फर्जी मेरिट सूची तैयार की और उसे सामान्य वर्ग श्रेणी में शीर्ष स्थान पर घोषित किया। इस प्रकार योग्य अभ्यर्थियों के न्यायोचित अवसर छीन लिया गया।
जब यह षड्यंत्र उजागर हुआ और फर्जी परिणाम निरस्त कर सही अभ्यर्थियों के परिणाम घोषित किए गए, तब प्रो. राठौर ने अनरन्या यादव के साथ मिलकर झूठी शिकायतें दर्ज कर विश्वविद्यालय पर दबाव बनाने का प्रयास किया।
Created On :   21 Aug 2025 2:03 PM IST