Shahdol News: सीएम हेल्पलाइन में दर्ज शिकायतों के निराकरण में फिसड्डी साबित हुआ जिला

सीएम हेल्पलाइन में दर्ज शिकायतों के निराकरण में फिसड्डी साबित हुआ जिला
  • गिरी रैंकिंग : हर सोमवार कलेक्टर की समीक्षा के बाद भी प्रदेश में 52वें स्थान पर शहडोल
  • राजस्व विभाग में कुछ शिकायतें ऐसी है, जिनका निराकरण संभव ही नहीं है।

Shahdol News: हर सोमवार समयसीमा (टीएल) की बैठक में कलेक्टर द्वारा विकास कार्यों में लेटलतीफी की समीक्षा के बजाय सीएम हेल्पलाइन में दर्ज शिकायतों के निराकरण पर जोर देने के बाद भी शहडोल जिला प्रदेश में 52वें स्थान के निम्नतम स्तर पर गिर गया। आमजनों द्वारा दर्ज शिकायतों के निराकरण में जिला फिसड्डी साबित हुआ।

बुधवार को सीएम हेल्पलाइन की प्रदेशस्तर पर जारी ग्रेडिंग में 10 हजार 6 सौ लंबित शिकायतों में 78 प्रतिशत शिकायतों के निराकरण के कारण 52वें स्थान पर जिला पहुंच गया। पिछले महीने 79 प्रतिशत निराकरण के साथ शहडोल 47वें स्थान पर रहा।

आमजनों के लिए स्थिति अच्छी नहीं- सीएम हेल्पलाइन में दर्ज शिकायतों में मामलों का ज्यादा लंबित रहना आमजनों के लिए इसलिए अच्छी नहीं है, क्योंकि लोग व्यवस्था से परेशान होकर सीएम हेल्पलाइन में शिकायत दर्ज करवाते हैं। इसके बाद भी शिकायतें ज्यादा समय तक लंबित रहे तो इसका सीधा खामियाजा आमजनों को भुगतना पड़ता है।

हेल्थ में 763, राजस्व में 549, पुलिस में 478 शिकायतें 50 दिन से लंबित

शिकायतों के निराकरण में सबसे ज्यादा लंबित मामले स्वास्थ्य, राजस्व व पुलिस में हैं। जानकार बताते हैं कि शहडोल जिले की ग्रेडिंग गिरने के पीछे सबसे ज्यादा जिम्मेदार भी यही विभाग हैं। प्रमुख विभागों सहित जिले में 50 दिन से ज्यादा समय से लंबित शिकायतों की संख्या 4 हजार 440 से ज्यादा है।

विभाग कुल 50 दिन से

शिकायत ज्यादा लंबित

राजस्व 1700 549

हेल्थ 1251 763

बिजली 990 299

पुलिस 876 478

नगरीय प्र. 566 169

बैंक 302 13

स्कूल शिक्षा 283 127

ट्राइबल 236 131

पीडब्ल्यूडी 165 73

निराकरण की ट्रेनिंग- वन विभाग द्वारा सीएम हेल्पलाइन में लंबित शिकायतों के निराकरण के लिए बुधवार को प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। प्रशिक्षण में ई-गर्वनेंश के जिला प्रमुख स्वप्निल जैन ने बताया कि शिकायतों के निराकरण के दौरान किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है।

निराकरण में कुछ खामियां भी

राजस्व विभाग में कुछ शिकायतें ऐसी है, जिनका निराकरण संभव ही नहीं है। उदाहरण के लिए जाति प्रमाण पत्र। जो अपात्र हैं, उनका बन ही नहीं सकता। इसके बाद भी सीएम हेल्पलाइन में शिकायतें लंबित रहती है। ऐसी शिकायतों को कमिश्नर स्तर पर फोर्स क्लोज करने का प्रावधान है। अधिकारी समस्या भी बताते हैं पर वहां से निराकरण में उतनी तत्तपरता नहीं दिखाई जाती।

Created On :   21 Aug 2025 1:37 PM IST

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