अदालत ने कहा - आसमान के समान ऊंची है सुप्रीम कोर्ट की विश्वसनीयता, पूर्व महापौर पेडणेंकर को राहत

Court said - the credibility of the Supreme Court is as high as the sky, Relief to former mayor Pedenkar
अदालत ने कहा - आसमान के समान ऊंची है सुप्रीम कोर्ट की विश्वसनीयता, पूर्व महापौर पेडणेंकर को राहत
हाईकोर्ट अदालत ने कहा - आसमान के समान ऊंची है सुप्रीम कोर्ट की विश्वसनीयता, पूर्व महापौर पेडणेंकर को राहत

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने झोपड़पट्टी पुनर्वास योजना (एसआरए) में कथित घोटाले से जुड़े मामले में आरोपी मुंबई की पूर्व महापौर और शिवसेना (उद्धव ठाकरे) नेता  किशोरी पेडणेंकर को अंतरिम राहत दी है। हाईकोर्टमंगलवार को मुंबई पुलिस को निर्देश दिया है कि वह इस मामले को लेकर 30 मार्च तक पेडणेंकर के खिलाफ आरोपपत्र न दायर करें। शिवसेना नेता पेडणेंकर पर वरली इलाके में एसआरए के तहत बनी एक इमारत में मूल लाभार्थियों के फर्जी दस्तखत करके अवैध रुप से 6 फ्लैट हथियाने का आरोप है। पेडणेंकर ने इस मामले को लेकर दर्ज की गई एफआईआर को रद्द करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में पेडणेंकर ने दावा किया है कि उन्हें झूठे मामले में फंसाया गया है। राजनीतिक प्रतिशोध के चलते उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है। सत्र न्यायायलय ने मुझे इस मामले में अग्रिम जमानत दे दी है। मंगलवार को न्यायमूर्ति रेवती मोहिते ढेरे व न्यायमूर्ति पीके चव्हाण की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका व पेडणेंकर के वकील सुदीप पासबोला की दलीलों पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने निर्मल नगर पुलिस स्टेशन को निर्देश दिया कि वह इस मामले में 30 मार्च तक आरोपपत्र न दायर करें। भारतीय जनता पार्टी के नेता किरीट सोमैया ने इस मामले को सार्वजनिक किया था। 


आसमान के समान ऊंची है सुप्रीम कोर्ट की विश्वसनीयता 

सुप्रीम कोर्ट की विश्वसनीयता आसमान के समान ऊंची है। इसे व्यक्तियों के बयानों से न तो मिटाया जा सकता है और न ही  इसे प्रभावित किया जा सकता है। भारत का संविधान सर्वोच्च है। देश का प्रत्येक नागरिक संविधान से बंधा है। इसके साथ ही हर नागरिक से अपेक्षा की जाती है कि वे संवैधानिक मूल्यों का पालन करें। सभी को संवैधानिक संस्थानों का सम्मान करना चाहिए। फिर चाहे वह संवैधानिक प्राधिकरण हो या संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति। बांबे हाईकोर्ट ने यह बात उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड व केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू  की ओर से कॉलेजियम व सुप्रीम कोर्ट को लेकर दिए गए सार्वजनिक बयानों को आधार बनाकार दायर की गई जनहित याचिका को खारिज करते हुए कहीं है। हाईकोर्ट ने इससे संबंधित याचिका को 9 फरवरी को बिना कारणों का उल्लेख किए खारिज कर दिया था। आदेश की प्रति मंगलवार को उपलब्ध हुई।वकीलों के संगठन बांबे लॉयर्स एसोसिएशन ने इस मुद्दे को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। याचिका में उपराष्ट्रपति व केंद्रीय कानून मंत्री के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एसवी गंगापुरवाला व न्यायमूर्ति एसवी मारने की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि निःसंदेह यह हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह संविधान का सम्मान करें और कानून की महिमा को कायम रखें। इस तरह खंडपीठ ने मामले से जुड़े सभी तथ्यों पर गौर करने के बाद याचिका को खारिज कर दिया। खंडपीठ ने कहा कि जनहित याचिका की शक्ति न्यायालय द्वारा जनता को दी गई है, जिसका उपयोग वे सार्वजनिक हितों को चोट पहुंचने पर कर सकते हैं। इस याचिका का उद्देश्य प्रचार पाना नहीं हो सकता है।

सुनवाई के दौरान अधिवक्ता अबदी ने कहा था कि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड व कानून मंत्री किरण रिजिजू ने अपने बयान न्यायपालिका की प्रतिष्ठा व साख को धक्का पहुंचाया है। जबकि एडिशनल सॉलिसिटर जनरल सिंह ने कहा था कि मौजूदा याचिका पूरा तरह से आधारहीन है और सिर्फ प्रचार पाने के लिए यह याचिका दायर की गई है। याचिका में दावा किया गया था कि उपराष्ट्रपति व कानूनमंत्री बिना किसी संवैधानिक अधिकार के न्यायपालिका पर आपत्तिजनक व अनादरपूर्ण भाषा के जरिए न्यायपालिका पर हमला कर रहे है। जिसके चलते जनता के बीच सुप्रीम कोर्ट की प्रतिष्ठा प्रभावित हो रही है। याचिका में कहा गया था कि जिस तरह से उपराष्ट्रपति व कानून मंत्री ने संविधान के प्रति अविश्वास दर्शाया है वे किसी भी संवैधानिक पद पर रहने के लिए अपात्र है। 

 

Created On :   21 Feb 2023 8:49 PM IST

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