शिकारियों का शिकार बन सकते हैं पेयजल की तलाश में भटक रहे सारस पक्षी

Cranes birds wandering in search of drinking water can become victims of poachers
शिकारियों का शिकार बन सकते हैं पेयजल की तलाश में भटक रहे सारस पक्षी
गोंदिया शिकारियों का शिकार बन सकते हैं पेयजल की तलाश में भटक रहे सारस पक्षी

डि़जिटल डेस्क, गोंदिया। तहसील के छोटे तालाब व जलस्त्रोत सूख गए हैं। इस क्षेत्र में अधिवास कर रहे सारस पक्षियों को समय पर पानी मिलना भी कठिन हो गया है। प्यास बुझाने के लिए सारस पानी की तलाश में भटक रहे है। कहीं प्यास से इन  सारस पक्षियों की जान न चली जाए। यह डर पक्षी प्रेमियों को सताने लगा है। गोंदिया तहसील के कुछ ही क्षेत्र में दुर्लभ कहे जाने वाले सारस पक्षियों का अधिवास देखने को मिलता है। सारस पक्षी दुर्लभ होने से बड़े दूर-दूर से पर्यटक उनके दर्शन करने गोंदिया तहसील में पहुंचते हैं।सारस संवर्धन पर विभिन्न योजनाओं के तहत लाखों रुपए खर्च किए जा रहे हैं, ताकि उनकी संख्या में बढ़ोतरी हो। लेकिन ग्रीष्मकाल में क्षेत्र के छोटे तालाब एवं जलस्त्रोत सूख गए हैं। ऐसे में सारस पक्षियों को पानी के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है। ऐसे में शिकारी इनका शिकार करने के लिए सक्रिय हो जाते हैं। इतना ही नहीं 44-45 डिग्री सेल्सियस तापमान में उनके कंठ सूख रहे हैं। यदि समय पर पानी नहीं मिला तो उनकी जान जा सकती है। इस तरह की परिस्थिति को देखते हुए पक्षी प्रेमियों में उनके संवर्धन को लेकर चिंता बढ़ गई है। 

उपलब्ध कराया जा रहा पानीgondi

मुकुंद धुर्वे, मानद वन्यजीव संरक्षक के मुताबिक इस संदर्भ में मुझे जानकारी मिली तो मैंने संबंधित क्षेत्र के किसानों को खेत तालाब तथा जलस्त्रोतों में विद्युत पंपांे से या अन्य संसाधनों से पानी संग्रहित करने की विनंती की। जिस पर किसानों द्वारा सारस पक्षियों को बचाने के लिए जलस्त्रोतों में पानी उपलब्ध कराया जा रहा है। इससे सारस पक्षी ही नहीं तो अन्य पक्षियों की भी प्यास बुझ रही है। 

जिले में बचे हैं सिर्फ 39 सारस

विदर्भ में सिर्फ गोंदिया जिले में ही दुर्लभ सारस दिखाई देते हैं, लेकिन सारस पक्षियों की बाल मृत्यु की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। जिले में मात्र 39 सारस ही शेष बचे हुए हैं। जिनका संवर्धन करना बहुत जरूरी हो गया है। प्रतिवर्ष सारस पक्षियों की गणना पक्षी प्रेमियों, वन्यजीव व वन विभाग द्वारा की जाती है। बताया गया है कि 2004-2005 में 6 सारस पक्षियों की गणना की गई थी। उसके बाद वर्ष 2006-2007 में 22, 2008-2009 में 38, 2010-2011 में 45, 2011-2012 में 52, 2012-2013 में 35, 2014-2015 में 38, 2015-2016 में 35, 2016-2017 में 37, 2017-2018 में 35, 2018-2019 में 38, 2019-2020 में 45 एवं वर्तमान में 39 सारस पक्षियों की संख्या दर्ज की गई है।

Created On :   16 May 2022 6:45 PM IST

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