एक एकड़ में लगाई आम की फसल से कमाए सवा लाख रूपए

एक एकड़ में लगाई आम की फसल से कमाए सवा लाख रूपए
रंग लाई मेहनत एक एकड़ में लगाई आम की फसल से कमाए सवा लाख रूपए

डिजिटल डेस्क, गोंदिया. जिले के किसान परंपरागत रूप से धान की खेती करते आ रहे हैं। शासन की अनेक योजनाओं के माध्यम से इन किसानों को दूसरी नकद फसलों की ओर आकर्षित करने के प्रयास को अब तक कोई उल्लेखनीय सफलता नहीं मिली है। क्योंकि किसानों के मन में दूसरी फसलों के प्रति अनेक आशंकाएं रहती है। लेकिन अब कुछ प्रगतिशील किसान आगे आकर नए-नए प्रयोग कर स्वयं तो लाभ कमा ही रहे हैं। साथ ही दूसरों के लिए भी प्रेरणा बन रहे हैं। ऐसे ही एक किसान है। अर्जुनी मोरगांव तहसील मुख्यालय से 12 कि.मी. की दूरी पर स्थित ग्राम धाबेटेकड़ी निवासी ललीत शंकर सोनवाने। वे गत 15 वर्षों से प्रगतिशील खेती कर रहे हैं। 3 एकड़ जमीन के किसान सोनवाने नई-नई कृषि तकनीक का इस्तेमाल करते हैं। धान उत्पादक क्षेत्र में आम की फसल लगाकर अपने बगीचे से अब उत्कृष्ट स्वाद, गुणवत्तापूर्ण दर्जे के स्वादिष्ट आमों का उत्पादन कर रहे हैं। उन्होंने इस वर्ष एक एकड़ जमीन में लगभग सवा लाख रुपए के आमों का उत्पादन किया है। 

सोनवाने शुरू से ही धान उत्पादक किसान रहे हैं। कृषि विभाग के मार्गदर्शन में उन्होंने अभ्यास दौरे, चर्चासत्र, खेतों में प्रत्यक्ष भेंट, कृषि विद्यापीठ एवं कृषि संशोधन केंद्रों के सहयोग से बहुवार्षिक फल उत्पादन पद्धति का अभ्यास किया। एक बार पौधे लगाने के बाद निश्चित रूप से उत्पादन मिलेगा। इस उद्देश्य से उन्होंने आम की फसल लगाने का निश्चय किया। एवं एक एकड़ क्षेत्र में 10 बाय 4 फुट अंतर पर केसर, दशहरी, लंगड़ा, मल्लिका, हाफुस आदि प्रजाति की 750 कलमे लगाई। तीन वर्ष के बाद आम का उत्पादन शुरू हो गया। 

शुरुआत में उत्पादन कम रहा लेकिन अब हर पेड़ से उन्हें 15 से 20 किलो आम मिल रहे हैं। उनका कहना था कि केशर प्रजाति के आम को अच्छी दर मिलती है। खाद, मजदूरी एवं अन्य खर्चों में 15 से 20 हजार रुपए खर्च होते हैं। उपलब्ध प्राकृतिक स्त्रोतों का उपयोग कर खर्च को सीमित रखने पर वह जोर देते हैं। सेंद्रिय पद्धति से आम का उत्पादन लेने के कारण रासायनिक खाद का उपयोग कम कर खर्च बचाया जा सकता है। इस वर्ष उन्हें 12 क्विंटल आम का उत्पादन हुआ है। उन्होंने स्वयं प्राकृतिक पद्धति से इन आमों को पकाकर स्थानीय स्तर पर पैकिंग कर घर पहुंच बिक्री की। उन्हें प्रति किलो 100 से 102 रुपए तक का बाजार भाव मिला। धान की तुलना में यह बहुत अधिक है। उनकें फलबाग को अब तक नागपुर विभाग के विभागीय कृषि सहसंचालक रवींद्र भोसले, जिला अधीक्षक कृषि अधिकारी हिंदूराव चौहान, उपविभागीय कृषि अधिकारी मंगेश वावधने एवं कृषि विभाग के अन्य अधिकारी, कर्मचारियों के साथ ही स्थानीय परिसर के किसानों ने भी भेंट देकर उनके प्रयोग की सराहना की है। इससे उनका मनोबल बढ़ा है। उन्होंने अपनी आय बढ़ाने एवं जीवनस्तर उंचा उठाने के लिए अन्य किसानों से भी नए प्रयोग करने का आह्वान किया है। 
 

Created On :   28 Jun 2022 6:49 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story