गोरेवाड़ा इंडियन सफारी पर लेट-लतीफी का ग्रहण , दिसंबर पर टल गई बात

Eclipse of late on Gorewada Indian Safari, postponed on December
गोरेवाड़ा इंडियन सफारी पर लेट-लतीफी का ग्रहण , दिसंबर पर टल गई बात
गोरेवाड़ा इंडियन सफारी पर लेट-लतीफी का ग्रहण , दिसंबर पर टल गई बात

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  विदर्भ व नागपुर के लिए आकर्षण का केन्द्र बननेवाला गोरेवाड़ा इंडियन सफारी पर लेट-लतीफी का ग्रहण लगता नजर आ रहा  है। वर्ष 2018 के दिसंबर तक इसे शुरु करने का आश्वासन देने के बाद भी यह साकार नहीं हुआ है। हालांकि तैयारियां लगभग पूरी हो गई है। इंडियन सफाई अंतर्गत शुरु होनेवाली 4 सफारी के लिए लगनेवाले सभी वन्यजीव गोरेवाड़ा रेस्क्यू सेंटर में उपलब्ध हैं। बावजूद इसके इसे शुरू करने की तिथि लगातार सामने धकेली जा रही है। विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो इस प्रोजेक्ट से जुड़ी निजी कंपनियों द्वारा कुछ मामले में देरी से निर्णय लेने से लेकर अनुमति नहीं देना यह इसके लेट-लतीफी का कारण बन रहा है। हालांकि अभी इसे दिसंबर में शुरू करने पर जोर दिया जा रहा है। जिसका पर्यटक बेसब्री से इंतजार भी कर रहे हैं।

नागपुर के पास हरियालियों के बीच बसा गोरेवाड़ा क्षेत्र काफी बड़ा है। जंगली क्षेत्र होने से यहां तेंदुए से लेकर जंगली सुअर, मोर, बंदर आदि वन्यजीव रहते हैं। हालांकि उन्हें देखना हर किसी के लिए संभव नहीं है। पास ही में गोरेवाड़ा रेस्क्यू सेंटर है। जहां बड़ी संख्या में वन्यजीव पिंजरे में रखे जाते हैं। यहां सफारी पर्यटकों के लिए उपलब्ध है। लेकिन नाममात्र क्योंकि सिवाय लेपर्ट के यहां कोई वन्यजीव आसानी से नहीं दिखाई देता है। बावजूद इसके 15 किमी के इस सफारी का लुत्फ उठाने लगातार पर्यटकों का आना-जाना लगा रहा है। जगह ज्यादा रहने से यहां एक बड़ी जंगल सफारी का निर्माण कर नागपुर व विदर्भ की यह जगह देशभर के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र बनाने की सोच सामने रखी गई। वर्ष 2007 में यहां 539 हेक्टर पर विकास करने की घोषना वन मंत्रालय कर दी। इस विकास कार्य में यहां इंडियन सफारी के साथ आफ्रीकन  सफारी का निर्माण करने की घोषना भी की थी। पहले चरण में 145 हेक्टर में इडियन सफारी बनाई जानी है। जिसमें बाघ, लेपर्ट, भालू व शाकाहारी प्राणियों की सफारी बनाई जाएगी। इसके बाद यहां बायोपार्क बर्ड सफारी, नाईट सफारी के बाद आफ्रीकन सफारी भी शुरू करने का निर्णय लिया गया था। यह पूरा प्रोजेक्ट 450 करोड़ का है। जिसमें इंडियन सफारी में लगभग 65 करोड़ रुपये का खर्च सरकारी फंड से हो रहा है। हालांकि इसके बनने के बाद इसका संचालन प्राइवेट कंपनी करनेवाली है। लेकिन सरकारी अधिकारी व निजी कंपनी का आपसी तालमेल सही नहीं रहने से इन सफारियों पर लेट-लतीफी का ग्रहण लगते दिख रहा है। सबसे पहले इंडियन सफारी का निर्माण वर्ष 2018 दिसंबर में करने का आश्वासन दिया गया था। लेकिन तब तक इसका काम ही शुरू नहीं हो सका था। इसके बाद वर्ष 2019 के ग्रीष्म में इसे शुरू कर जंगल सफारी का लुत्फ उठाने का वादा किया गया। लेकिन तब भी इसका काम पूरा नहीं हुआ। इसके बाद अगस्त माह में इसे 15 अगस्त को शुरू करने पर जोर दिया गया था। लेकिन अब तक इसे शुरू नहीं किया जा सका है।  अभी इसी साल के दिसंबर माह में इसे पूरा करने का आश्वासन दिया जा रहा है। हालांकि शहर ही नहीं बल्कि शहर के बाहर के पर्यटक यहां आने के लिए उत्साहित है।

बाघ भी तैयार 

वर्तमान स्थिति में गोरेवाड़ा की 15 किमी जंगल सफारी में टाइगर नहीं है। ऐसे में पर्यटकों को इस सफारी का लुत्फ उठाना मजेदार नहीं लगता है। लेकिन इंडियन सफारी में बाघ को भी देका जा सकेगा। यहां छोड़ने के लिए बाघ भी गोरेवाडा रेस्कयू सेंटर में है। इसके अलावा भालू व लेपर्ट भी सफारी के लिए तैयार है। शाकाहारी वन्यजीवों की सफारी के लिए भी वन्यजीव लगभग तैयार है। ऐसे में लेट लतीफी का कारण हर किसी ककी समझ से परे है।

Created On :   9 Nov 2019 1:48 PM IST

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