Nagpur News: मानसून सत्र ध्यानाकर्षण - 5 वर्ष से केंद्र में अटका शक्ति कानून, पूर्व गृहमंत्री देशमुख ने की थी पहल

मानसून सत्र ध्यानाकर्षण - 5 वर्ष से केंद्र में अटका शक्ति कानून, पूर्व गृहमंत्री देशमुख ने की थी पहल
  • विधानमंडल में मंजूर हो चुका है विधेयक
  • जल्द निर्णय के लिए राज्य भर में विशेष कोर्ट का निर्माण

Nagpur News. दुराचार व महिला प्रताड़ना के मामलों में दोषियों को कठोर सजा के लिए राज्य सरकार ने शक्ति कानून बनाने के ठोस प्रयास किए। लेकिन 5 वर्ष बाद भी यह कानून नहीं बन पाया है। राज्य विधानमंडल ने स्वीकृत किए विधेयक को केंद्र से मंजूरी नहीं मिल पायी है। विधानमंडल के मानसून अधिवेशन में इस कानून को लेकर राज्य सरकार से स्थिति साफ होने की उम्मीद है। युवतियों व महिलाओं से दुराचार के मामलों पर नियंत्रण के लिए आंध्रप्रदेश सरकार ने विशेष कानून बनाया है। उसी के समान शक्ति कानून बनाने की ठोस पहल राज्य सरकार ने की थी। वर्ष 2020 में इस कानून के संबंध में मसौदा तैयार किया गया। इसके लिए सर्वदलीय महिला विधायकों सहित वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की समिति तैयार की गई। दिसंबर 2020 में विधानसभा व विधानपरिषद में विधेयक स्वीकृत किया गया। विधेयक को अंितम स्वीकृति के लिए केंद्र की ओर भेजा गया। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शक्ति कानून संबंधी विधेयक में त्रुटि दूर करने के लिए अध्ययन समिति गठित करने के निर्देश राज्य सरकार को दिए। निर्देश देने के एक वर्ष बाद अध्ययन समिति का गठन किया गया। कानून तैयार करने के लिए 2020 में ही आंध्रप्रदेश में अध्ययन दल भेजा गया था। उसमें वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अलावा कानून के विशेषज्ञ का समावेश था। उसके बाद सर्वदलीय विधायकों की एक समिति तैयार की गई। प्रस्तावित कानून में प्रावधान के बारे में विस्तृत जानकारी ली गई। समिति में वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, महिला विधायक व कानून विशेषज्ञ सहित 21 सदस्य थे। समिति ने मुंबई सहित छत्रपति संभाजीनगर व नागपुर में बैठक लेकर महिलाओं के संरक्षण व सहायता के लिए कार्य करनेवाले संगठनों से चर्चा की। कानून में प्रस्तावित प्रावधान के बारे में विचार-मंथन किया। उसके बाद भी कानून का मसौदा तैयार कर विधानमंडल में विधेयक रखा गया था। संवैधानिक प्रक्रिया के तहत विधेयक को राष्ट्रपति की सहमति के लिए केंद्र सरकार की ओर भेजा गया।

बदलाव के आदेश

2022 में राज्य में सरकार बदल गई। बाद में केंद्र सरकार ने आईपीसी व सीआरपीसी अधिनियम को 1 जुलाई 2024 को रद्द कर दिया। उसके दूसरे दिन यानी 2 जुलाई 2024 को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार को शक्ति कानून में बदलावा के लिए अध्ययन समिति गठन के आदेश दिए। उस आदेश के एक वर्ष बाद राज्य सरकार ने पुलिस महासंचालक की अध्यक्षता में समिति गठित की है।

क्या है शक्ति कानून में

-सामूहिक दुराचार, 16 वर्ष से कम उम्र की किशाेरी की प्रताड़ना के अपराध में मृत्युदंड।

-एसिड हमला के अपराध में मौत की सजा

- तकनीकी जानकारी देने में असहयोग करने पर मोबाइल कंपनी के संबंधित अधिकारी को 3 माह की जेल और 5 लाख रुपये तक का जुर्माना।

- जल्द निर्णय के लिए राज्य भर में विशेष कोर्ट का निर्माण

-15 दिन में जांच कर 30 दिन में प्रकरण पर सुनवाई और 60 दिन में न्यायालय का निर्णय।

-16 वर्ष के नाबालिग दोषी को भी मृत्युदंड।

-18 वर्ष से कम उम्र की किशोरी से सामूहिक दुष्कर्म के मामले में दोषियों को मृत्युदंड।

सरकार उदासीन

पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख ने कहा कि शक्ति कानून बनाने के मामले में महायुति सरकार उदासीन है। आघाडी सरकार बदलने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को मैंने पत्र लिखा था। शक्ति कानून को जल्द बनाने के लिए आवश्यक फालोअप करने का निवेदन किया था। लेकिन सरकार अध्ययन समिति भी समय पर गठित नहीं कर पायी। एक वर्ष बाद गठित समिति की रिपोर्ट की कोई जानकारी नहीं। महिला प्रताड़ना को रोकने के लिए शक्ति कानून शीघ्र बनाने की आवश्यकता है।


Created On :   30 Jun 2025 5:47 PM IST

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