चुनाव आयोग ने हलफनामा दायर कर कहा- उसके आदेश के खिलाफ दायर याचिका में उसे पार्टी नहीं बनाया जा सकता
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि एकनाथ शिंदे गुट को शिवसेना नाम और चुनाव चिन्ह आवंटित करने के खिलाफ ठाकरे गुट द्वारा दायर अपील में उसे पार्टी नहीं बनाया जा सकता है। आयोग ने शीर्ष अदालत में दायर अपने हलफनामें में कहा है कि उसके द्वारा पारित आदेश प्रशासनिक निर्णय नहीं था, बल्कि यह एक अर्ध न्यायिक निकाय के रूप में दिया गया था। आदेश में उचित तर्क दिए गए है और इसमें याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाए गए सभी मुद्दों को शामिल किया गया है। आयोग ने हलफनामें में कहा है कि यह वर्तमान मामले के लिए एक ‘फंक्टस ऑफ़िसियों’(मतलब यदि मामले में उचित और निष्पक्ष सुनवाई और परिक्षण के बाद फैसला सुनाया गया है तो मामला फिर से नहीं खोला जा सकता) बन गया है। क्योंकि प्रतीक आदेश की धारा 15 के तहत दायर याचिका पर निर्णय लेने के अपने कर्तव्य का निर्वहन किया है। इसलिए उसे कार्यवाही में एक पक्षकार नहीं बनाया जा सकता है।
आयोग ने अपने हलफनामें सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का जिक्र करते हुए कहा है कि जहां एक अर्ध-न्यायिक निकाय द्वारा पारित एक आदेश अपीलीय अदालत के समक्ष चुनौती के अधीन है, ऐसे निकाय को अपील के पक्ष के रूप में प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं हैं। चुनाव आयोग ने यह जवाब 17 फरवरी को दिए गए आदेश के खिलाफ उद्धव ठाकरे द्वारा दायर एक याचिका पर दिया है, जिसमें शिंदे गुट को असली शिवसेना के रुप में मान्यता और पार्टी के प्रतीक धनुष-बाण का उपयोग करने का अधिकार गया दिया था। बता दें कि इससे पहले देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने चुनाव आयोग के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।
Created On :   15 March 2023 1:53 PM GMT