दैनिक भास्कर से खास बातचीत - विविध क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने रखी राय, असंगठित कामगारों के लिए घोषणाएं हों
डिजिटल डेस्क, नागपुर। दैनिक भास्कर से खास बातचीत के दौरान विविध क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने बजट 2023 को लेकर अपनी राय रखी। जिनमें विजय जावंधिया, शेतकरी संगठन के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि इस बजट में सरकार को असंगठित कामगारों के लिए भी घोषणाएं करनी चाहिए। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि में वृद्धि हाेनी चाहिए। तेलंगाना सरकार की तरह किसानों को राशि देने की घोषणा करनी चाहिए। आठवां वेतन अायोग वर्ष 2026 में प्रस्तावित है। इसके अनुसार इस बजट में असंगठित कामगारों के लिए भी व्यवस्था होनी चाहिए। वित्त मंत्री ने किसानों को सब्सिडी वाला गेहूं नहीं बेचने की घोषणा करनी चाहिए। प्रधानमंत्री का मंत्र है फार्म, फैब्रिक और फॉरेन। बजट में इस मंत्र के अनुसार काम करने पर विचार करना चाहिए। सरकार को किसानों को मिलने वाली सब्सिडी बढ़ानी चाहिए। मनरेगा में मिलने वाला वेतन बढ़ाना चाहिए। कृषि क्षेत्र को भी आयकर के दायरे में लाना चाहिए। डेफिसिएट फाइनांसिंग को बढ़ाना चाहिए। इससे घाटा बढ़ेगा, लेकिन खेत मजदूरों का विकास होगा। गरीब तबके के लोगों से ज्यादा टैक्स वसूला जा रहा है। उदाहरण स्वरूप पेट्रोल-डीजल पर आम जनता से 50 प्रतिशत तक टैक्स लिया जा रहा है। इस बजट में सरकार फसल बीमा का 100 प्रतिशत प्रिमियम देने की घोषणा कर सकती है
सीए कविता लोया, पूर्व अध्यक्ष आईसीएआई के मुताबिक सरकार ने पिछले बजट में लिविंग वेजेज की घोषणा की थी, लेकिन अब तक इसे लागू नहीं किया गया है। उम्मीद है इस बजट में सरकार लिविंग वेजेज को लेकर कुछ घोषणा करे। व्यक्तिगत कर की अंतिम दर 30 प्रतिशत तक है, जबकि कंपनियों से 25 प्रतिशत की दर से कर वसूला जाता है। सरकार को चाहिए कि व्यक्तिगत कर की दर को घटाकर 25 प्रतिशत पर लाए। शिक्षा के क्षेत्र में भी घोषणा की उम्मीद है। सरकार ने व्यावसायिक शिक्षा प्रशिक्षण के कोर्स बढ़ाने चाहिए। खासकर महिलाओं के लिए क्षेत्रीय स्तर पर प्रशिक्षण केंद्र शुरू करने चाहिए। जी-20 देशों के बीच कॉमन करेंसी शुरू करने की सहमति मिलने में अभी समय लगेगा। अन्न सुरक्षा कानून जरूरी है। गरीब तबके के लोगों को अनाज देना ही पड़ेगा। देश में शिक्षा का स्तर बढ़ा है, इसीलिए मजदूर वर्ग कम हो रहा है।
दीपेन अग्रवाल, अध्यक्ष, चेंबर ऑफ एसोसिएशन ऑफ महाराष्ट्र इंडस्ट्री एंड ट्रेड के मुताबिक राजकोषीय अनुशासन के कारण सरकार को करोड़ों रुपए का टैक्स मिल रहा है। सरकार ने राजकोषीय घाटा कम करने के लिए राजकोषीय अनुशासन बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। पिछले बजट में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 6.4 प्रतिशत था। इस बजट में इसे 5 प्रतिशत के भीतर लाने का लक्ष्य रखना चाहिए। बजट में सरकार के सामने रोजगार निर्माण का एक बड़ा प्रश्न है। पिछले बजट की अनुपालन रिपोर्ट पेश होनी चाहिए। जी-20 देश तकनीक का आदान-प्रदान कर एक-दूसरे को सहयोग करेंगे, तो विश्व को नई दिशा मिल सकती है। अन्न सुरक्षा कानून की आवश्यकता नहीं है। सरकार ने मुफ्त में अनाज बांटना बंद करना चाहिए। ईवी के साथ पूरक ईंधन के उपयोग पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
Created On :   27 Jan 2023 5:50 PM IST