फसलों की कीमत को लेकर किसान परेशान, नहीं मिल रहीं उचित कीमतें

farmers are in trouble, they are not getting right price of their crop
फसलों की कीमत को लेकर किसान परेशान, नहीं मिल रहीं उचित कीमतें
फसलों की कीमत को लेकर किसान परेशान, नहीं मिल रहीं उचित कीमतें

डिजिटल डेस्क, मुंबई। पहले सूखा फिर बेमौसम बारिश ने पहले से ही किसानों की कमर तोड़ दी है। ऐसे मौसम के चलते किसानों की फसल का उत्पादन काफी कम हुआ जिससे उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ा। नुकसान के चलते कई किसानों ने आत्महत्या तक कर ली। जिसके बाद सरकार द्वारा कर्जमाफी सहित कई कदम उठाए गए लेकिन इन सब के बाबजूद किसानों की समस्या ख़त्म होने का नाम नहीं ले रही हैं।

 

हाल ही में किसानों को उनकी फसल के लिए सही दाम न मिलने का मामला सामने आया है। सही दाम न मिलने के मामले वर्धा, यवतमाल और गोंदिया से मिल रहे है। यहां किसानों को फसल के सरकारी समर्थित मूल्य से कम दाम मिल रहे हैं जिससे किसानों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है।

 

वर्धा में सोयाबीन की खरीदी

वर्धा कृषि उत्पन्न बाजार समिति द्वारा केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम दाम पर सोयाबीन खरीदी शुरू हो गई है। तीन दिनों में 5419 क्विंटल सोयाबीन की खरीदी बाजार समिति द्वारा की जा चुकी है। बेमौसम बारिश के चलते सोयाबीन की फसल खराब होने से गत वर्ष की तुलना में  इस वर्ष सोयाबीन के दाम में गिरावट दर्ज की गई है। केंद्र सरकार द्वारा बोनस समेत सोयाबीन का न्यूनतम रेट 3050 तय किया गया है। गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष सोयाबीन के दाम में 75 रुपए की वृद्धि की गई है। लेकिन 23 अक्टूबर को 1969 क्विंटल सोयाबीन की खरीदी की गई जिसमें खराब सोयाबीन को 1801 रुपए प्रति क्विंटल तथा अच्छी सोयाबीन को 2560 रुपए प्रति क्विंटल दर खरीदी की गई। 24 अक्टूबर को 2000 क्विंटल सोयाबीन की खरीदी खराब सोयाबीन 1901 तथा अच्छी सोयाबीन 2650 रुपए  प्रति क्विंटल की दर से खरीदी की गई । 25 अक्टूबर को 1450 क्विंटल सोयाबीन खराब 2000 तथा अच्छी सोयाबीन को 2625 की दर से खरीदी की गई।
 

 

बेमौसम बारिश के कारण इस वर्ष किसानों के फसल का काफी नुक्सान हुआ। सोयाबीन की फसल के दानों की चमक गायब हो गयी है, दाने काले पड़ गए हैं। इस वर्ष की फसल में कचरा ज्यादा होने से सोयाबीन के दामोंं में काफी गिरावट दर्ज की गई है। खराब फसल की खरीदी बाजार समिति द्वारा नहीं की जा रही है। क्योंकि खराब फसल को सरकार द्वारा रिजेक्ट कर दिया जाता है। बारिश के कारण किसानोंं की खराब सोयाबीन को बाजार में सीधे व्यापारियों द्वारा 1700, 1800 प्रति क्विंटल की दर से खरीदा जा रहा।  

 

यवतमाल,उत्पादन में कमी के बावजूद ठगे जा रहे किसान 
 

जिले में किसी भी तहसील में नाफेड के जरिए सरकार ने सोयाबीन की खरीदी शुरू नहीं की है। हालांकि किसान दीपावली के पूर्व ही सोयाबीन, कपास, तथा अन्य कृषि उपज की खरीदी शुरू करने की मांग करते हुए इसकी राह तक रहे थे, लेकिन इस वर्ष दीपावली के पूर्व सरकारी खरीदी शुरू नहीं हो पायी, ऐसे में दीपावली के बाद सरकार ने कॉटन फेडरेशन के जरिए, कपास खरीदी का 25 अक्टूबर का मुहूर्त निकालकर यवतमाल विभाग में कपास खरीदी की पहले चरण में शुरुआत की गयी है, लेकिन अभी सोयाबीन खरीदी के सरकारी संकलन केंद्रों का अता पता नहीं है। सरकारी खरीद शुरू होने की उम्मीद में मंडी में सोयाबीन के ढेर लग गए हैं। दूसरी ओर नाफेड की खरीदी शुरू न होने से प्राथमिक चरण में निजी व्यापारियों कों लाभ होता दिखाई दे रहा है। लाइसेंसधारी व्यापारियों ने मंडियों में आयी सोयाबीन के ढेर में वर्गवारी बताते हुए खरीदी शुरू की है। सरकार के कड़े  निर्देश के बावजूद फिलहाल जिले में किसी भी स्थान पर निजी खरीद के दौरान समर्थन मूल्य पर खरीदी नहीं हो पा रही है, मंडियों में व्यापारी किसानों द्वारा लायी गयी सोयाबीन में मायश्चराइज्ड, मिट्टी,कंकड़,  कचरायुक्त तथा सोयाबीन की प्रति स्वयं के हिसाब से निश्चित करते हुए खरीदी कर रहे है, केवल 1800 से 2500 रुपए के बीच ही निजी स्तर पर खरीदी हो रही है।

गोंदिया में नहीं बढ़ा धान का रेट 

 कड़ी मेहनत करने के बावजूद किसानों को धान का रेट सही मिल रहा है। धान का उत्पादन लेने वाले किसानों के पास का धान समर्थन मूल्य से भी कम दाम में खुले बाजार में खरीदा जा रहा है। शासन द्वारा इस वर्ष  प्रति क्विंटल 80 रुपए की बढ़ोतरी कर धान को 1550 रुपए समर्थन मूल्य देकर सरकारी धान खरीदी केंद्रों पर प्रति क्विंटल खरीदा जा रहा है। यहीं धान व्यापारियों द्वारा 1300 रुपए से लेकर 1400 रुपए प्रति क्विंटल से कम दाम में खरीदा जा रहा है जिससे किसानों का बड़े पैमाने पर आर्थिक नुकसान हो रहा है। 
बता दें कि इस वर्ष अल्प बारिश होने से धान की फसल नही के बराबर हो रही है।  यदि समय पर बारिश एवं सिंचाई होने से किसानों को प्रति हेक्टेयर लगभग 20  से 22 क्विंटल चावल का उत्पादन होता है। लेकिन इस वर्ष बारिश ने धोखा दिए जाने से फसल के उत्पादन में 50 प्रतिशत कमी आयी है। ऐसे में धान को शासन द्वारा उचित दाम देकर किसानों का मनोबल बढ़ाना चाहिए था। लेकिन इस वर्ष शासन ने सिर्फ प्रति क्ंिवटल पर 80  रुपए की बढ़ोतरी कर किसानों के साथ मजाक किया है। जिले में जिला मार्केटिंग फेडरेशन एवं आदिवासी विकास महामंडल की ओर से सरकारी धान खरीदी केंद्र शुरू किए गए हैं। लेकिन केंद्र पर भीड़ व समय पर धान की राशि नहीं मिलने से मजबूरन किसान व्यापारियों के द्वार अपने मूल्यवान धान को बेचने के लिए ले जा रहे हैं। इसका लाभ भी जिले के कुछ व्यापारी जमकर उठा रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में तो बी श्रेणी के धान को 1200 रुपए क्ंिवटल के हिसाब से खरीद रहे हैं। यहीं धान कृउबास में 1350  रुपए से लेकर 1450 रुपए तक खरीदा जा रहा है। ता

 

Created On :   27 Oct 2017 8:35 PM IST

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