हाथ में फलक थाम किसान करेंगे प्रदर्शन, एचटीबीटी कपास को लेकर होगा खेत में प्रदर्शन

Farmers will demand for arrest, demonstration in the field regarding HTBT cotton
हाथ में फलक थाम किसान करेंगे प्रदर्शन, एचटीबीटी कपास को लेकर होगा खेत में प्रदर्शन
हाथ में फलक थाम किसान करेंगे प्रदर्शन, एचटीबीटी कपास को लेकर होगा खेत में प्रदर्शन

डिजिटल डेस्क, नागपुर। एचटीबीटी अर्थात हर्बिसाइड टोलरेंट बीटी कपास बीज से प्रतिबंध हटाने की मांग को लेकर किसान प्रदर्शन करेंगे। 12 जून को राज्य स्तर पर प्रदर्शन होगा। बीज के समर्थन में किसान अपने खेत में फलक लेकर रहेंगे। फलक पर लिखा रहेगा- मैं एचटीबीटी कपास उत्पादक किसान हूं। मैं गुनाहगार हूं, मुझे गिरफ्तार करो। प्रदर्शन को लेकर किसान यूनियन शेतकरी संगठन ने जिला स्तर पर तैयारी की है। संगठन का दावा है कि एचटीबीटी कपास की खेती में जहां किसानों की लागत कम आती है, वहीं उत्पादन ज्यादा होता है। इसीलिए राज्यों के साथ ही केंद्र सरकार से मांग है कि किसानों को इसकी खेती करने की अनुमति दी जाए। राज्य में 17 कपास उत्पादक जिलों में प्रदर्शन होगा इनमें विदर्भ से अकोला, अमरावती, बुलढाणा, वर्धा, यवतमाल, चंद्रपुर, नागपुर शामिल हैं।

गौरतलब है कि एचटीबीटी कपास की खेती देश में पर्यावरण संरक्षण अधिनियम और बीज अधिनियम के तहत अपराध है। राज्य सरकार के कृषि विभाग के अनुसार राज्य में एचटीबीटी कपास की बुवाई करने पर एक लाख रुपये का जुर्मान और पांच साल की सजा का प्रावधान है। लेकिन चोरी छिपे इस कपास बीज की बिक्री बड़े स्तर पर होती रही है। प्रति वर्ष धरपकड़ होती है। इस वर्ष भी एचटीबीटी कपास बीज विक्रेताओं के साथ ही किसानों के विरुद्ध कार्रवाई की जा रही है। लिहाजा किसान संगठन ने किसानों के समर्थन में आंदोलन का ऐलान किया है।

मंत्रियों से की बात

दो दिन पहले कृषिमंत्री दादाजी फुसे व गृहमंत्री अनिल देशमुख के साथ किसान संगठन के प्रतिनिधियों ने चर्चा की। किसान नेता वामनराव चटप , राम नेवले सहित अन्य ने एचटीबीटी से प्रतिबंध हटाने को लेकर विविध तर्क रखे। दोनों मंत्रियों ने इस मामले को मंत्रिमंडल में रखने का आश्वासन दिया है, लेकिन फिलहाल सरकार की ओर से किसानों को कोई राहत नहीं मिली है। किसान नेता राम नेवले ने दैनिक भास्कर से चर्चा में कहा है कि एचटीबीटी पर प्रतिबंध का कोई औचित्य ही नहीं रह गया है। यह कपास किसानों के लिए लाभकारी है। लाभ को देखते हुए विदर्भ में ही अनुमानित तौर पर 8 लाख एचटीबीटी कपास बीज के पैकेट बिक चुके हैँ।

12 से 13 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में यह कपास बीज लगाया जा रहा है। ऐसे में किसानों पर कार्रवाई करना ठीक नहीं है। वैसे भी इस कपास बीज के नुकसान को अब तक प्रमाणित नहीं किया जा सका है। यह अनुवांशिक तौर पर विकसित जीएम बीज हैं। जीएम फसलें न केवल किसानों के लिए बल्कि भारकी की आर्थिक समृद्धि के लिए भी महत्वपूर्ण है। जीएम सोयाबीन की फसल एक एकड़ में 30 से 47 क्विंटल होती है। देसी बीज के सोयाबीन से एक एकड़ में 5 से 7 क्विंटल ही फसल हो पाती है। यही स्थिति कपास के साथ है।

नेवले के मुताबिक दुनिया भर में 50 फीसदी से अधिक कपास की खेती एचटीबीटी की हो रही है। लेकिन देश के किसानों को इस नई पीढ़ी के जीएम कपास के बीज से वंचित रखा गया है। गुजरात, आंध्रप्रदेश तेलंगाना में कुछ वर्षों से लाखों किसान चोरी छुपे एचटीबीटी कपास की खेती कर रहे हैं। 

Created On :   7 Jun 2020 7:34 AM GMT

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