जेल में आंगनवाड़ी : कैदियों के बच्चों के खानपान और पढ़ाई तक का खर्च उठाएगी सरकार 

Government will afford expenses of prisoners children to care and education
जेल में आंगनवाड़ी : कैदियों के बच्चों के खानपान और पढ़ाई तक का खर्च उठाएगी सरकार 
जेल में आंगनवाड़ी : कैदियों के बच्चों के खानपान और पढ़ाई तक का खर्च उठाएगी सरकार 

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सेंट्रल जेल में बंद कैदियों के साथ रहने वाले बच्चों के लिए आंगनवाड़ी शुरू की गई है। यह आंगनवाड़ी सेंट्रल जेल के प्रवेश द्वार की दाहिनी ओर बने पुराने पालनाघर की जगह पर रेस्ट हाउस परिसर में शुरू की गई है। इस आंगनवाड़ी के शुरू होने से कैदियों के साथ रहने वाले 3 से 6 साल के बच्चे इसमें नर्सरी तक की पढ़ाई कर सकते हैं। आगे की पढ़ाई के लिए अदालत के आदेश पर और कैदियों की अनुमति लेकर उन्हें उनके रिश्तेदारों या बाल निरीक्षण गृह में भेजा जा सकता है। 

इस योजना के तहत हुआ शुरू

सूत्रों के अनुसार, मौजूदा समय में जेल के अंदर कैदियों के 5 बच्चे हैं, जिसमें से दो ही बच्चों को जेल के बाहर आंगनवाड़ी की नर्सरी में पढ़ने के लिए जेल से बाहर भेजा जाता है। सेंट्रल जेल में शुरू की गई आंगनवाड़ी को महाराष्ट्र शासन एकात्मिक बाल विकास प्रकल्प नागरी (1) के मार्फत शुरू किया गया है। इसमें जेल के कैदियों के बच्चों के अलावा जेल में कार्यरत अधिकारी- कर्मचारियों के बच्चे भी जाकर पढ़ाई कर सकते हैं। इस आंगनवाड़ी में जेल में सजा काटने वाले कैदियों के बच्चों के खानपान से लेकर उनकी नर्सरी तक की शिक्षा का सारा इंतजाम महिला व बाल विकास विभाग की ओर से एकात्मिक बाल विकास प्रकल्प नागरी (1) द्वारा किया जाता है। बता दें कि जिले में महिला व बाल विकास विभाग के माध्यम से आंगनवाड़ी केंद्रों का संचालन किया जाता है। इनके माध्यम से कुपोषित बच्चों को सुपोषित करने के साथ ही बच्चों और गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण कराया जाता है। इस आंगनवाड़ी पर जेल प्रशासन का ही नियंत्रण रहता है। आंगनवाड़ी केंद्र शुरू होने से यहां पर रह रही गर्भवती महिला कैदियों के लिए कई तरह की सुविधाएं मिल सकेंगी। 

महिला सिपाही रहती हैं साथ

सूत्रों ने बताया कि सेंट्रल जेल में इस समय 5 बच्चे हैं, जिसमें दो बड़े बच्चे हैं। इन बच्चों काे जेल में होने का एहसास न हो, इसलिए उन्हें जेल से बाहर आंगनवाड़ी में पढ़ने भेजा जाता है। उन्हें पढ़ाने के लिए शिक्षिका है। सेंट्रल जेल में शुरू की गई इस आंगनवाड़ी चूना भट्टी क्षेत्र का एक संगठन चलाता है। इसमें फिलहाल जेल के दो ही बच्चे पढ़ने भेजे जाते हैं। इन दोनों बच्चों के साथ जेल की महिला सिपाही उन्हें लेकर जाती है। उनकी पढ़ाई होने के बाद उन्हें वापस जेल में उनके पालकों (बंद कैदी) के पास छोड़ती है।

उम्र बढ़ने पर नहीं रखे जा सकते हैं कैदियों के बच्चे 

सेंट्रल जेल में इस समय कुछ बच्चे अंडरट्रायल महिला कैदियों के हैं। उन्हें जेल में ज्यादा समय तक नहीं रखा जा सकता है। जेल में 0 से 3 वर्ष तक के ही बच्चे को रख सकते हैं। उनके बाद उसे जेल से बाहर कर दिया जाता है। ऐसे बच्चों को मानसिक परेशानी का सामना न करना पड़े, इसलिए वर्ष 2007-08 में जब शहर पुलिस आयुक्त डॉ. भूषणकुमार उपाध्याय नागपुर सेंट्रल जेल के डीआईजी थे तब उन्होंने बालवाड़ी शुरू किया था। कुछ समय चलने के बाद यह बालवाड़ी बंद हो गई थी। बंद होने का कारण यह था िक जेल में कैदियों के बच्चे ही नहीं थे। अब फिर जेल में कैदियों के बच्चों की संख्या 5 हो गई है, इसलिए अब जेल में आंगनवाड़ी शुरू की गई है, जिससे कुछ गर्भवती महिला कैदियों को भी इसका लाभ मिल सके। आंगनवाड़ी केंद्रों में गर्भवती महिलाओं के लिए कई विशेष कार्यक्रम किए जाते हैं। इन कार्यक्रमों में गर्भवती महिलाओं को उनके पोषण आहार से लेकर प्रसूति होने तक क्या- क्या सुविधाएं और सावधानियां बरतनी चाहिए।

जेल प्रशासन का ही आंगनवाड़ी संचालन पर रहेगा नियंत्रण 

अधीक्षक रानी भाेसले के मुताबिक जेल में इस समय 5 बच्चे हैं, इसमें से दो ही बच्चों को जेल के बाहर आंगनवाड़ी में पढ़ने भेजा जाता है। जेल से बाहर जाते समय उनके साथ महिला सिपाही भी रहती है। नागपुर सेंट्रल जेल में कैदियों के बच्चों के लिए शुरू की गई आंगनवाड़ी में जेल के कर्मचारियों के बच्चे भी जाकर पढ़ सकते हैं। हां, बाहर के बच्चे इस आंगनवाडी में आकर नहीं पढ़ सकते हैं। 
    

Created On :   5 March 2019 5:45 PM IST

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