महिलाओं और बच्चों को हैलमैट से छूट देने का प्रावधान वापस लेगी सरकार

District Mineral Fund is not being used in Gadchiroli!
गड़चिरोली में जिला खनिज निधि का नहीं हो रहा कोई उपयाेग!
महिलाओं और बच्चों को हैलमैट से छूट देने का प्रावधान वापस लेगी सरकार

एनएलयूआई के छात्र की याचिका पर उप महाधिवक्ता का हाईकोर्ट में बयान,अगली सुनवाई अब 2 मार्च को
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
दो पहिया वाहन चलाने वाली या उसके पीछे बैठने वाली महिलाओं और 12 साल तक के बच्चों के लिये हैलमेट की अनिवार्यता न होने का प्रावधान राज्य सरकार जल्द ही वापस लेगी। यह बयान सोमवार को सरकार की ओर से हाईकोर्ट में दिया गया। चीफ जस्टिस अजय कुमार मित्तल और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने सरकार को दो सप्ताह का समय देकर अगली सुनवाई 2 मार्च को निर्धारित की है।
राष्ट्रीय विधि संस्थान विवि भोपाल (एनएलयूआई) के छात्र हिमांशु दीक्षित की ओर से दायर इस जनहित याचिका में कहा गया है कि मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 129 के तहत दो पहिया वाहन चलाते समय हैलमेट पहनना आवश्यक है। यह धारा सिर्फ और सिर्फ सिख समुदाय के वाहन चालकों व सवारों पर लागू नहीं होती। प्रावधान में उल्लेखित है कि राज्य सरकार चाहे तो कि किसी भी ग्रुप या समुदाय के लिये उक्त प्रावधान में छूट दे सकती है। याचिका में आरोप है कि राज्य सरकार ने महिलाओं और 12 साल तक के बच्चों को हैलमेट से छूट दे दी है। आरोप यह भी है कि राज्य सरकार द्वारा बनाया गया नियम न केवल संविधान के अनुच्छेद 14, 15 (1) व 21 का उल्लंघन करता है, बल्कि मोटर वाहन  अधिनियम 1988 के  हैलमेट संबंधित हितकारी प्रावधान की मंशा को भी कुंठित करता है। मामले में आरटीआई के तहत सड़क हादसों से संबंधित महिलाओं के आकड़े भी पेश किए गए हैं। मामले पर प्रारंभिक  सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने 21 अक्टूबर 2019 को अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिये थे। मामले पर सोमवार को आगे हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने अपना पक्ष स्वयं रखा, जबकि राज्य सरकार की ओर से उपमहाधिवक्ता प्रवीण दुबे व शासकीय अधिवक्ता हरेकृष्ण उपाध्याय ने पक्ष रखा। सुनवाई के बाद सरकार की ओर से दिए गए बयान पर युगलपीठ ने सुनवाई दो सप्ताह के लिए मुलतवी कर दी।
 

Created On :   11 Feb 2020 8:21 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story