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नहीं रहे पत्रकार और कहानीकार सुदीप, मुंबई में हुआ अंतिम संस्कार
डिजिटल डेस्क, मुंबई। वरिष्ठ कथाकार सुदीप का शुक्रवार को अंतिम संस्कार कर दिया गया। गुरुवार को उनका निधन हो गया था। वे कई महीनों से फेफड़े के कैंसर से पीड़ित थे और कोकिलाबेन धीरूभाई अम्बानी हॉस्पिटल में उनका इलाज चल रहा था। अमेरिका में बसे उनके पुत्र कार्तिक सुदीप पिछले चार महीने से उनकी देखरेख कर रहे थे। पाकिस्तान के जिला लायलपुर में जन्मे 78 वर्षीय सुदीप हिंदी कहानी के उन महत्वपूर्ण कथाकारों में थे, जो अपनी विशिष्ट शैली और आम आदमी के दुखों को शब्द देने के लिए जाने जाते थे। वे समानान्तर कथा आंदोलन के प्रमुख स्तम्भ थे। सुदीप के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए वरिष्ठ पत्रकार हरीश पाठक ने उन्हें याद करते हुए कहा कि जिन दिनों वे सारिका में थे, तब उन्होंने "सिलसिले" कहानी कमलेश्वर को पढ़ने दी, तो केबिन से बाहर आकर कमलेश्वर ने कहा, यह तो परम्परा बनेगी हम इस कहानी से ही एक स्तम्भ शुरू करेंगे । तब सारिका में कथाक्रम नाम का स्तम्भ शुरू हुआ, जिसमें मकान (भीष्म साहनी) और छुट्टियां (निर्मल वर्मा) जैसी कालजयी कहानियां उस स्तम्भ में छपीं।
चार कहानी संग्रह अंतहीन, तीये से अठ्ठा, लंगड़े व अनहद नाद तीन उपन्यास साधु सिंह परचारी, नीड़, मिट्टी के पांव।एक व्यंग्य संग्रह,चार जीवनियां,पंजाबी के आधा दर्जन उपन्यासों का हिंदी अनुवाद उनकी रचनात्मक धरोहर है।
सारिका, धर्मयुग, रविवार, श्रीवर्षा, करंट, शिक, संडे मेल, हमारा महानगर, अमर उजाला, हिंदी स्क्रीन और नूतन सवेरा जैसी प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं के संपादक रहे सुदीप की कहानियां अनेक भारतीय भाषाओं में अनुवादित हुई हैं। भाषा की शुध्दता और स्वछता के प्रबल पक्षधर सुदीप वैश्विक जानकारी के गहन जानकार थे। उनकी कमी सदियों तक खलती रहेगी।
Created On :   26 Jun 2020 5:47 PM IST