‘लोहड़ी दी रात’ पंजाबी लोकगीतों व लोकनृत्यों की धूम, जगह-जगह आयोजन

Lohri di raat is a celebration of punjabi folk songs and dances
‘लोहड़ी दी रात’ पंजाबी लोकगीतों व लोकनृत्यों की धूम, जगह-जगह आयोजन
‘लोहड़ी दी रात’ पंजाबी लोकगीतों व लोकनृत्यों की धूम, जगह-जगह आयोजन

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  पारंपरिक पर्व लोहड़ी का रंगारंग आयोजन पंजाब सेवा समाज की ओर से पंजाबी महिला मंच और पंजाबी युवा उत्सव समिति के सहयोग से वर्धमाननगर स्थित प्रीतम भवन में किया गया। कार्यक्रम में पंजाबी लोकगीतों और लोकनृत्यों की धूम रही। एक से बढ़कर एक पंजाबी लोकगीतों की प्रस्तुति की गई जिसमें ‘सुंदर मुंदरिये हो तेरा कौन विचारा’, ‘लोहड़ी दी बधाई’, ‘रात्ती आयो न’ आदि का समावेश था।

नववधुओं -बच्चों ने समां बांधा
इस अवसर पर नवजात शिशुओं और नववधुओं की लोहड़ी धूमधाम से परंपरागत रूप से की गई। तिल, मूंगफली, गजक, रेवड़ी, गुड़ आदि की आहुति देकर सामूहिक रूप से लोहड़ी प्रज्वलित करते ही पंजाबी ढोल की थाप पर कदम थिरकने लगे। भांगड़ा और गिद्दा नृत्य ने धूम मचा दी।समाज के बच्चों ने भी अपनी शानदार प्रस्तुति से समां बांध दिया। इनमें काला चश्मा, सौदा खरा-खरा आदि शामिल था। कार्यक्रम का संचालन भारती खुराना, चारु बुधराजा, नेहा मदान, पूजा बत्रा, पायल अरोरा और साक्षी पुन्यानी ने किया।

दमादम मस्त कलंदर...
कार्यक्रम के दूसरे दौर में भोपाल से आए विख्यात गायक राजीव सिंह, मोहम्मद साजिद और स्नेहा ने अपनी लाजवाब प्रस्तुति से मंत्रमुग्ध कर दिया। गुरुवाणी से आरंभ करते हुए ‘दिल दा मामला है’, ‘यारा सिल्ली सिल्ली’, ‘दमादम मस्त कलंदर’, ‘ढाई दिन न जवानी नाल चलदी’, ‘दो तारां इश्क दियां और नोकझोंक’ भरे पंजाबी टप्पों की जोशीली प्रस्तुति ने झूमने पर मजबूर कर दिया। वाद्ययंत्रों पर रवि राव, कीबोर्ड विक्रांत निमजे और साल्वे ने संगत की। संचालन नरेंद्र सतीजा और महेश कुमार कुकडेजा ने किया।

मां उमिया का प्राकट्य उत्सव  
तारकासुर का संहार करने के लिए कुमार कार्तिकेय स्वामी का अवतार हुआ था। उसे सिद्ध करने के लिए वे तारकासुर के वध का निश्चय करके युद्ध भूमि में उतर पडे़। यह उद्गार कच्छ पाटीदार समाज, लकडगंज, पाटीदार युवक मंडल तथा पाटीदार महिला मंडल के संयुक्त तत्वावधान में पाटीदार समाज भवन, लकडगंज, क्वेटा कालोनी ‘मां उमाधाम’ में आयोजित मां उमिया प्रागट्य की कथा के अवसर पर हुबली, कर्नाटक के वक्ता जनक प्रवीणचंद्र जोशी ने अपनी अमृतमय वाणी में व्यक्त किए। 
 

Created On :   14 Jan 2020 6:10 AM GMT

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