भगवान गाैतम बुद्ध का संदेश पहुंचा सात समुंदर पार

Message of Lord Gautam Buddha reached across the seven seas
भगवान गाैतम बुद्ध का संदेश पहुंचा सात समुंदर पार
गोंदिया भगवान गाैतम बुद्ध का संदेश पहुंचा सात समुंदर पार

डिजिटल डेस्क, गोंदिया। तथागत भगवान गौतम बुद्ध को शांति का प्रतीक कहा जाता है। भारत इसके लिए आज भी विश्व गुरू है। भगवान गौतम बुद्ध का शांति का संदेश सात समुंदर पार होकर श्रीलंका पहुंच चुका है। इसी संदेश का प्रचार प्रसार करने के लिए श्रीलंका की युवती ने गोंदिया के युवक के साथ सात फेरे लेकर पूरे देश में शांति का संदेश जन-जन तक पहुंचाने का निर्णय लिया है। विगत 18 अप्रैल को उमेश कांबड़े श्रीलंका पहुंचकर रत्नमेनिके के गृहग्राम बुकानुमा में बौद्ध धर्म संस्कृति से विवाह किया। उसके बाद वे अपने स्वदेश लौटे तो उमेश के परिजनों ने 1 मई को आशीर्वाद समारोह का आयोजन किया। इस आयोजन में दंपति ने बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार करने का संकल्प लिया है। 

भगवान गौतम बुद्ध शांति के प्रतीक होकर बौद्ध धर्म ने समता, प्रज्ञा व प्रेम का संदेश पूरे विश्व को दिया है। इसका सबसे अधिक प्रचार प्रसार भारत देश के माध्यम से किया जाता है। इसलिए भारत इसके लिए आज भी विश्व गुरु है। गोंदिया के दतोरा निवासी उमेश कामड़े भी बौद्ध धर्म के अनुयायी होकर रेलवे विभाग में कर्मचारी के रूप में सेवा दे रहे हैं। वे अपने सेवा के साथ-साथ बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार और भगवान गौतम बुद्ध के शांति का संदेश घर-घर तक पहुंचाते हैं। उमेश व श्रीलंका के बुकानुमा ग्राम की रत्नमेनिके की पहचान 2 वर्ष पूर्व फेसबुक के माध्यम से हुई। बताया गया कि रत्नमेनिके यह श्रीलंका में शिक्षिका के पद पर कार्यरत है। धीरे-धीरे उनकी यह पहचान दोस्त व प्रेम में बदल गई। वे फेसबुक के माध्यम से गौतम बुद्ध के विचार व बौद्ध धर्म के संदेश को एक दूसरे को अवगत कराते थे।

बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार से प्रेरित होकर रत्नमेनिके ने निर्णय लिया कि बौद्ध धर्म का संदेश भारत देश में पहुंचाने के लिए क्यों न एक दूसरे से विवाह किया जाए। जिसका प्रस्ताव रत्नमेनिके ने उमेश के सामने रखा। उमेश ने भी उसे स्वीकार किया और दोनों ने अपने परिजनों को अवगत कराया। दोनों के परिजनों ने इस निर्णय को स्वीकार किया और 18 अप्रैल को उमेश कांबड़े श्रीलंका पहुंचकर रत्नमेनिके के गृहग्राम बुकानुमा में बौद्ध धर्म संस्कृति से विवाह किया। उसके बाद वे अपने स्वदेश लौटे तो उमेश के परिजनों ने 1 मई को आशीर्वाद समारोह का आयोजन किया। इस आयोजन में दंपति ने बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार करने का संकल्प लिया है।  

उमेश कांबड़े, दतोरा के मुताबिक मैं बौद्ध धर्म का प्रचारक हूं। रत्नमेनिके के साथ मेरी पहचान फेसबुक के माध्यम से हुई। श्रीलंका में रत्नमेनिका धम्म शाला की शिक्षिका होकर भगवान गौतम बुद्ध का संदेश देती है। दोनों के विचार एक होने से रत्नमेनिके ने संकल्प लिया है कि श्रीलंका के साथ-साथ भारत में भी बौद्ध धर्म का प्रचार करूं। क्योंकि भारत की संस्कृति बहुत ही अच्छी है। रत्नमेनिके ने मेरे सामने विवाह का प्रस्ताव रखा। जिसे मैंने स्वीकार करते हुए दोनों के परिजनों की रजामंदी से विवाह किया। अब हम बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार कर जन-जन तक भगवान गौतम बुद्ध के विचार पहुंचाएगे।

Created On :   4 May 2022 7:46 PM IST

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