"गुरूवर्णम' में गुरू शिष्य परंपरा को किया प्रस्तुत
कार्यक्रम का प्रमुख आकर्षण "गुरूवर्णम भरतनाट्यम' नृत्य नृत्यांगनाओ ने गुरू शिष्य परंपरा प्रस्तुत किया। जिसको चार भागो मे बांटा गया। एक भगवान कार्तिक तथा भगवान शिव पर आधारित था। जिसमें बताया गया कि गुरू की आयु सीमा नहीं होती। दूसरा भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन में हुआ संवाद दिखाया गया, तथा एकलव्य और द्रोणाचार्य का संबंध भी नृत्यांगनाओं ने प्रस्तुत किया। अंत में स्वामी विवेकानंद एवं रामकृष्ण परमहंस इनपर आधरित संवारी की प्रस्तुति दी गई। साथ में शिव-स्तुति,अल्लारिपू,जावली और कदनकुतूहलं तिल्लाना का भी समावेश था। ड्रिया अग्रवाल, कामाक्षी हंपीहोली, पलक अग्रवाल, डॉ. किशोरी हंपीहोली ने भरतनाट्यम नृत्य प्रस्तुत दी। भरतनाट्यम के साथ संगत में नटवांगम पर किशोर तथा डॉ. किशोरी हंपीहोली, गायन पर चेन्नई के गिरीश मेनन, बांसुरी पर पुणे के संजय शशिधरन साथ दिया। कार्यक्रम का संचालन अंकिता देशकर ने किया। संस्था के सतीश दंडे एवं कशोर हंपीहोली ने कलाकारों को सम्मानित किया।