नागपुर में होगा नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ जूनॉसिस, शामिल हैं 25 से अधिक देश

Nagpur will have National Institute of Junossis, includes more than 25 countries
 नागपुर में होगा नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ जूनॉसिस, शामिल हैं 25 से अधिक देश
 नागपुर में होगा नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ जूनॉसिस, शामिल हैं 25 से अधिक देश

डिजिटल डेस्क, नागपुर। नागपुर में आईसीएमआर-सेंटर फॉर वन हेल्थ शुरू होगा। यह संस्था पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वाइरोलॉजी के नियंत्रण में काम करेगी। यह जूनॉसिस के क्षेत्र में काम करने वाली अपनी तरह की पूरे प्रशांत एशिया में पहली संस्था होगी। संस्था अलग-अलग क्षेत्र में काम करने वाली मानव स्वास्थ्य, जीव-जंतु स्वास्थ्य, पर्यावरण संबंधी अध्ययनों में समन्वय के क्षेत्र में काम करेगी। बता दें कि एशिया-प्रशांत या एशिया प्रशांत दुनिया का वह हिस्सा है, जो पश्चिमी प्रशांत महासागर के पास या निकट है। इस क्षेत्र का आकार संदर्भ के अनुसार बदलता रहता हैं, लेकिन आमतौर पर इस में पूर्व एशिया, दक्षिण एशिया, दक्षिण पूर्व एशिया और ओशिआनिया के कई क्षेत्र शामिल होते हैं। फिलहाल इसमें शामिल देशों की संख्या लगभग 25 से ज्यादा है। 

ये थे उपस्थित

शनिवार को माफसू(महाराष्ट्र एनिमल एंड फिशरी साइंस यूनिवर्सिटी) के परिसर में संस्था के भवन को भूमिपूजन का कार्यक्रम तय था। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नागपुर दौरा रद्द होने के कारण कार्यक्रम नहीं हो पाया। शनिवार काे माफसू में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में सांसद डॉ.विकस महात्मे, माफसु के कुलगुरु डॉ. एएम. पातूरकर और आईसीएमआर के अधिकारी डॉ. रमन गंगाखेडकर, डॉ.मंजू राही, डॉ.रजनीकांत उपस्थित थे।

इसलिए खतरा

मानव काे प्रभावित करने वाली 1415 संक्रामक बीमारियों में से 61 फीसदी का कारण पशुजन्य बीमारियां होती हैं। पालतू और यहां तक कि वन्यजीवों के संसर्ग से इस तरह की बीमारियां होने का खतरा उत्पन्न होता है। इस तरह की बीमारियों पर प्रभावी रूप से नियंत्रण के लिए स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम कर रहीं विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय की जरूरत है। 

इंस्टीट्यूट का नागपुर में होना गर्व की बात

सेंटर से संबंधित जानकारी देते हुए सांसद डॉ. विकास महात्मे ने बताया कि इस इंस्टीट्यूट का नागपुर में शुरू होना गर्व की बात है। उन्होंने बताया कि इस इंस्टीट्यूट के लिए वर्ष 2011 में इसके लिए आईसीएमआर और इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर को 200 करोड़ की निधि मंजूर की गई थी। दोनों संस्थाओं की संयुक्त टीम ने नागपुर वेटरिनरी कॉलेज में सेंटर ऑफ एक्सलेंस ऑन जूनॅासिस शुरू करने स्थान का निरीक्षण भी किया था। अब वह इंस्टीट्यूट माफसू में शुरू होगी। 

निपाह, स्क्रब टाइफस जैसी बीमारियों की रोकथाम

इंस्टीट्यूट निपाह, स्क्रब टाइफस, स्वाइन फ्लू जैसी बीमारियों की रोकथाम में अहम भूमिका निभा सकती है। देश में फिलहाल इन बीमारियों पर काम हो रहा है, लेकिन संबंधित एजेंसियों के देश में अलग-अलग स्थान पर होने के कारण कुछ परेशानी आती है। जैसे केरल में मिले निपाह वायरस को जांच के लिए पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वाइरोलॉजी भेजना पड़ता है। सेंटर के कारण बीमारियों के लिए समय पर उपाय और दिशा-निर्देश जारी करने में मदद मिलेगी। 

Created On :   8 Sept 2019 1:34 PM IST

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