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सूची में नेता, शिक्षक, डाक्टर और वकीलों के बच्चों के नाम!
डिजिटल डेस्क, गोंदिया। शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के अनुसार समाज के दुर्बल एवं वंचित घटक के विद्यार्थियों को उत्तम दर्जे की शिक्षा मिल सके इसके लिए अंगरेजी माध्यम की स्कूलों में 25 प्रतिशत सीटें आरटीई (शिक्षा का अधिकार) के तहत दुर्बल एवं वंचित घटकों के विद्यार्थियों के लिए आरक्षित रखी जाती है। लेकिन प्रत्यक्ष में यह देखने में आ रहा है कि दुर्बल एवं वंचित घटकों की बजाय संपन्न वर्ग के पालकों के बच्चों को इस योजना के तहत एडमिशन दिए जा रहे हैं। जबकि वास्तविक हकदार इससे वंचित रह रहे हैं। गोंदिया जिले में वर्ष 2022-23 शैक्षणिक वर्ष में आरटीई के माध्यम से प्रवेश के लिए कुल 813 विद्यार्थियों का चयन ऑनलाइन पद्धति से किया गया एवं इसके अनुसार अब प्रवेश प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस योजना के तहत शालाओं में एडमिशन लेने वाले विद्यार्थियों का चयन ऑनलाइन पद्धति से शासन द्वारा किया जाता है। स्कूलों को केवल उनके पास कुल सीटों की 25 प्रतिशत सीटों का पंजीयन शिक्षा विभाग के पास करवाना होता है। जिले में उपलब्ध विद्यार्थी क्षमता के अनुसार ऑनलाइन पद्धति से पात्र विद्यार्थियों का चयन कर उन विद्यार्थियों को संबंधित स्कूलों में प्रवेश लेने के लिए शासन से पत्र दिया जाता है।
यह संपूर्ण प्रक्रिया शिक्षणाधिकारी की देखरेख में पूरी की जाती है। चयन प्रक्रिया के लिए आवेदन भी ऑनलाइन करने होते हैं। वंचित घटक के विद्यार्थियों के प्रवेश के लिए आय की कोई शर्त नहीं होती। जबकि आर्थिक दृष्टि से कमजोर प्रवर्ग के विद्यार्थियों के पालकों के लिए 1 लाख रुपए वार्षिक आय की सीमा तय की गई है। अपंग विद्यार्थियों के लिए इस शर्त को शिथिल किया गया है।
जिले में इस वर्ष के लिए 813 उपलब्ध सीटों के लिए विद्यार्थियों का चयन पूरा होकर वे विद्यार्थी प्रवेश के लिए पात्र होने की बात शिक्षा विभाग ने स्पष्ट की है। प्रवेश के लिए पात्र विद्यार्थियों को तहसील में स्थित गटसाधन केंद्रों से उन्हें किस शाला में प्रवेश लेना है इसकी जानकारी दी जाती है। गट साधन केंद्र के पत्र के अनुसार विद्यार्थियों को प्रवेश देना स्कूलों के लिए बंधनकारक है। अब सवाल यह उठता है कि आरटीई अंतर्गत प्रवेश लेने वाले हर विद्यार्थी के पालक की वार्षिक आय क्या केवल 1 लाख रुपए या उससे कम भी होती है? प्रवेश लेने के लिए आनेवाले विद्यार्थियों के किसी भी प्रमाणपत्र की जांच का अधिकार शालाओं को नहीं है। यह सारे अधिकार शिक्षा विभाग को दिए गए है। अब यह जांच कितनी प्रामाणिकता से की जाती है इस पर ही प्रश्नचिह्न लग रहा है। क्योंकि आरटीई के अंतर्गत प्रवेश लेनेवाले विद्यार्थियों के पालकों में अनेक संपन्न, डाॅक्टर, वकील, शिक्षक, शासकीय कर्मचारी, राजनितिक नेताओं का समावेश है। जिन्होंने विवरण पत्र भरकर स्वयं को आर्थिक रूप से दुर्बल बताते हुए योजना का लाभ उठाया है। आरटीई नियमानुसार आय का प्रमाणपत्र फर्जी होने पर या तो विद्यार्थी का प्रवेश रद्द हाेगा अथवा उसे शाला का पूरा शुल्क भरना पड़ेगा। लेकिन अब तक जिले में ऐसी एक भी कार्रवाई नहीं हुई। महंगी गाड़ियों में अपने बच्चों को स्कूल में छोड़ने आनेवाले पालक कागजों पर अपने आप को दुर्बल घटक का बताकर अपने बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा दिला रहे हैं। इसकी ओर शिक्षा विभाग क्या कार्रवाई करता है इस पर सबका ध्यान लगा हुआ है।
नियमानुसार ही होता है चयन
आरटीई प्रवेश के लिए पात्र विद्यार्थियों का चयन नियमानुसार ही किया जाता है। ऑनलाइन आवेदन के बाद तहसील स्तरीय समिति पालकों द्वारा प्रस्तुत सभी दस्तावेजों की छानबीन कर जांच करती है। उसके बाद ही प्रक्रिया आगे बढ़ाकर पात्र विद्यार्थियों का चयन किया जाता है।
- महेंद्र मोटघरे, शिक्षणाधिकारी (प्राथमिक), जिप गोंदिया
हम नियमों से बंधे हैं
आरटीई योजना समाज के दुर्बल एवं गरीब वर्ग के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा दिलाने के लिए शुरू की गई है। लेकिन इस योजना का लाभ पात्र बच्चों की बजाय अन्य लोगों को होता नजर आ रहा है। हम नियमों से बंधे हुए हैं। आरटीई के लिए आरक्षित सीटों के आवंटन के लिए शिक्षा विभाग द्वारा जारी की गई सूची को मान्य कर प्रवेश देने के लिए हम बाध्य है। बेहतर हो शासन इस योजना को और पारदर्शी बनाए ताकि उसका लाभ समाज के अंतिम घटक तक पात्र विद्यार्थियों को मिल सके।
- डा. सुजीत टेटे, प्राचार्य ब्लाॅसम पब्लिक स्कूल देवरी,
जांच समिति का सक्रिय होना जरूरी
पात्र लाभार्थियों के चयन के लिए बनाई गई तहसील स्तरीय जांच समिति की निष्क्रियता एवं उदासीनता की वजह से पात्र बच्चों के नामों के चयन में त्रुटि हो सकती है। योजना को सफल बनाने के लिए समिति को सक्रिय होना पड़ेगा।
-धनवंत कावडे, गट समन्वयक, समूह साधन केंद्र, पंस देवरी
Created On :   28 April 2022 7:29 PM IST