जमीन से कब्जा हटाने प्रमुख सचिव को HC का नोटिस, मामला भोपाल के कस्तूरबा नगर की सरकारी जमीन का

Notice of High Court to Chief Secretary to remove encroachment of Kasturba Nagar land
जमीन से कब्जा हटाने प्रमुख सचिव को HC का नोटिस, मामला भोपाल के कस्तूरबा नगर की सरकारी जमीन का
जमीन से कब्जा हटाने प्रमुख सचिव को HC का नोटिस, मामला भोपाल के कस्तूरबा नगर की सरकारी जमीन का

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। हाईकोर्ट ने भोपाल के कस्तूरबा नगर की सरकारी जमीन से अतिक्रमण हटाने राज्य शासन के राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव को नोटिस जारी किया है। जस्टिस आरएस झा और जस्टिस संजय द्विवेदी की युगल पीठ ने 6 सप्ताह में जवाब-तलब किया है।

यह कहा गया चाचिका में
भोपाल निवासी सुभाषचंद्र जैन की ओर से दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि कस्तूरबा नगर क्षेत्र की सरकारी जमीन पर कई लोगों ने अतिक्रमण कर रखा है। इस संबंध में कई बार राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव, भोपाल कलेक्टर, नगर निगम और एसपी को अभ्यावेदन दिया गया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई नहीं होने से सरकारी जमीन पर लगातार अतिक्रमण बढ़ते जा रहे हैं। सुनवाई के बाद युगल पीठ ने नोटिस जारी कर राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव से जवाब-तलब किया है।

राज्य सूचना आयुक्तों की नियुक्ति हाईकोर्ट के निर्णय के अधीन
हाईकोर्ट ने राज्य सूचना आयुक्तों की नियुक्ति को याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन रखने का आदेश दिया है। जस्टिस नंदिता दुबे की एकल पीठ ने राज्य सरकार, नेता प्रतिपक्ष, सूचना आयुक्त डॉ. जीके मूर्ति और राहुल सिंह को नोटिस जारी कर 6 सप्ताह में जवाब-तलब किया है। एकल पीठ ने नियुक्ति से संबंधित रिकॉर्ड भी तलब किया है। याचिका की अगली सुनवाई 13 मई को नियत की गई है। मंदसौर निवासी सामाजिक कार्यकर्ता रूपाली दुबे की ओर से याचिका दायर कर प्रदेश में मुख्य सूचना आयुक्त और दो सूचना आयुक्तों की नियुक्ति को चुनौती दी गई है।

याचिका में कहा गया कि सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ की अध्यक्षता में गठित समिति में मंत्री जयवर्धन सिंह और नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव भी थे। समिति ने 20 फरवरी को मुख्य सूचना आयुक्त और दो सूचना आयुक्तों की नियुक्ति की सिफारिश राज्यपाल से की थी। याचिका में कहा गया कि यह सिफारिश आरटीआई एक्ट के खिलाफ थी। इस सिफारिश में 14 फरवरी 2019 को दिए गए सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों का उल्लघंन था। अधिवक्ता जगत सिंह और शिवम हजारी के तर्क सुनने के बाद एकल पीठ ने नियुक्ति को याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन रखने का आदेश दिया है।

 

Created On :   27 March 2019 4:34 PM GMT

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