अब 24 दिन में कैसे हो पाएगी 5 लाख क्विंटल धान की मिलिंग

Now how will milling of 5 lakh quintals of paddy be done in 24 days?
अब 24 दिन में कैसे हो पाएगी 5 लाख क्विंटल धान की मिलिंग
शहडोल अब 24 दिन में कैसे हो पाएगी 5 लाख क्विंटल धान की मिलिंग

डिजिटल डेस्क शहडोल  वर्ष २०२०-२१ में उपार्जित १३ लाख क्विंटल धान में से अब तक ८ लाख क्विंटल धान की ही मिलिंग हो सकी है। एफसीआई की फटकार के बाद शेष बचे करीब ५ लाख क्विंटल धान की मिलिंग के लिए २८ फरवरी तक की समय सीमा तय कर दी गई है। सवाल उठाए जा रहे हैं कि जब १२ महीने में मिलिंग पूरी नहीं हो पाई तो मात्र २४ दिन में लाखों क्विंटल धान की मिलिंग कैसे हो पाएगी। जबकि मिलरों की संख्या वहीं है जितनी शुरुआती दिनों में थी। उपार्जन कार्य में अव्यवस्थाओं के चलते जहां अभी भी सैकड़ों किसानों को भुगतान नहीं हो पाए हैं, वहीं उससे भी अहम मिलिंग का कार्य बहुत ही धीमी गति से कराया जा रहा है। अब नए सीजन की खरीदी की धान का वही हाल होने वाला है।
जिले में धान की मिलिंग बहुत धीमी गति से हो रही थी। नियमानुसार उपार्जन समाप्त होने के एक डेढ़ माह बाद से मिलिंग शुरु हो जानी चाहिए, ताकि आगामी सीजन में मिलिंग का लोड न बढ़े। परंतु विभाग द्वारा सक्रियता नहीं बरती गई, जिसके कारण मिलिंग का लक्ष्य प्राप्त करने में जिला बहुत पीछे रह गया। इसे गंभीरता से लेते हुए खाद्य आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण भोपाल द्वारा ४ फरवरी को पत्र जारी करते हुए शेष धान की मिलिंग हर हाल में २८ फरवरी तक करने के निर्देश दिए गए हैं। 
कैसे होगी ११ माह में १९ हजार एमटी की मिलिंग
माना जा रहा है कि यदि नान और खाद्य विभाग का यही रवैया रहा तो जिले में मिलिंग का कार्य बहुत पीछे रहने वाला है। अब दवाब यह होगा कि ११ महीने में १९ लाख क्विंटल धान की मिलिंग करना होगा। गत वर्ष की ५ लाख क्विंटल को मिलाकर वर्ष २०२१-२२ में उपार्जित १४ लाख क्विंटल धान की मिलिंग भी करनी होगी। जिस प्रकार से मौजूदा समय पर मिलिंग का कार्य चल रहा है उसे देखते हुए नहीं लगता कि समयावधि में मिलिंग का कार्य पूरा हो पाएगा। नान व खाद्य विभाग का प्रभार एक ही अधिकारी के पास होने के बावजूद भी मिलिंग में गति नहीं आने पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
विलंब की वजह बिजली की कमी भी
मिलिंग में विलंब की वजह जानने के लिए कई मिलरों से बात की गई तो उनका कहना है कि जब पूरे समय बिजली ही नहीं मिलेगी तो काम कैसे हो पाएगा। मिल चलाने के लिए तीन फेस में कुछ घंटे ही बिजली मिल रही है। एफसीआई के लॉट बनाने का जो कार्य एक दिन में होना चाहिए, बिजली नहीं मिलने के कारण २ से ३ दिन लग जाते हैं। विभाग का क्या है, वह तो क्षमता के अनुसार लक्ष्य तय कर देता है। बिजली की कमी को लेकर कई बार बैठकों में मामला उठ चुका है। लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
मांग अनुरूप नहीं खरीदे बारदाने
जानकारी के अनुसार मिलिंग के दौरान एफसीआई में सर्वोत्तम गुणवत्ता वाले चावल उसी मानक के अनुसार बारदानों में जमा करना होता है। लेकिन जिले में उस मानक के अनुसार बारदानों की उपलब्धता नहीं होने के कारण एफसीआई में लॉट जमा नहीं हो पा रहे हैं। बोरे मुहैया कराने का काम नागरिक आपूर्ति विभाग का है। पता चला है कि इसके लिए १० लाख से अधिक बोरों की जरूरत थी। लेकिन विभाग द्वारा उस अनुरूप प्लानिंग नहीं बनाई गई। करीब ढाई लाख बोरे ही क्रय किए गए थे, जिनका उपयोग उपार्जन में कर लिया गया। जिले में विभागीय प्रदर्शन को देखते हुए शासन ने पुराने बोरों के उपयोग की भी अनुमति नहीं दी गई है। मिलिंग व बारदानों के बारे में नान प्रभारी व आपूर्ति अधिकारी कमलेश ताण्डेकर से चर्चा का प्रयास किया गया लेकिन उन्होंने मोबाइल रिसीव नहीं किया।
इनका कहना है
समयावधि में जितना हो सकेगा मिलिंग का प्रयास किया जाएगा। पहले पुरानी धान की मिलिंग करनी है। बिजली की समस्या को लेकर हर मीटिंग में मामला उठ चुका है।
जेके सारसर, आरएम नान रीवा

Created On :   5 Feb 2022 3:24 PM IST

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